शारीरिक श्रम और तनाव से मुक्ति
“…..पर यह भी कटु सत्य है कि लोग ज्यादा ही अग्रेसिव हो गए हैं ! बिना किसी लापरवाही के भी डॉक्टर को मारते-पीटते हैं, उन्हें गाली-गलौज करते हैं । अगर डॉक्टर कोशिश करें और इलाज के दौरान किसी मरीज की मौत हो जाती है, तो फिर डॉक्टर को बख्शा नहीं जाता है ।
यह आज की सच्चाई है कि डॉक्टर और मरीज के बीच जो संबंध पहले हुआ करते थे, वो अब नहीं रहा!
मरीज और डॉक्टर दोनों ही अब ज्यादा प्रोफेशनल हो गए हैं !”
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क्रोध व आवेश में आना सिर्फ शारीरिक अवस्थाएँ हैं, जिसे आज ब्लड प्रेशर कहा जाता है ! डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर तो मन का भ्रम है ! मैं अपनी अवस्था और अनुभव शेयर किया है, चिकित्सकीय बिंब-विधान लिए नहीं ! जीवनचर्या में बदलाव करके ही ! तनावमुक्त हो जीवन के शिथिलन की सकारात्मक गति देकर ! डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर कोई बीमारी नहीं है, अपितु यह सिर्फ अमीर लोगों की मानसिक अवस्थाएँ हैं !
भुलावे में ही मज़ा है ! ….क्योंकि घुट-घुट कर मरने से अच्छा है, इसे जानना ही नहीं है ! शेर के आगे आँख बंद करने से ऐसा नहीं है कि शेर चला गया, पर शुतुरमुर्ग को लगता है, तूफान चली गयी ! कोई भी व्यक्ति खाने के हिसाब से शारीरिक श्रम नहीं करता, इसलिए लोगों को डायबिटीज़ और ब्लडप्रेशर के भ्रम से गुजरना पड़ता है !
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तभी तो कहता हूँ कि डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर कोई बीमारी नहीं है । यह सिर्फ अमीरों की मानसिक अवस्थाएँ हैं ।
क्रोध व आवेश में आना सिर्फ शारीरिक अवस्थाएँ हैं, जिसे आज ब्लड प्रेशर कहा जाता है ।
मेरी एक दादी है, जो मेरे ही वार्ड में रहती है । अभी 92 वर्ष की आयु में है, रोज 4 रसगुल्ले खाती हैं, 2 सुबह और 2 शाम । सिर्फ इतना ही नहीं, वे रोज दूध के साथ हॉर्लिक्स भी पीती हैं, उनकी न केवल पाचन-शक्ति दुरुस्त हैं, अपितु उन्हें कोई डायबिटीज़ नहीं है ।
डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर तो मन का भ्रम है ।
कोई भी व्यक्ति खाने के हिसाब से शारीरिक श्रम नहीं करता, इसलिए लोगों को इन दोनों भ्रम से गुजरना पड़ता है।
(नोट : यहाँ मेरा अपना अनुभव है !)