तोता पिंजरा दाना पानी
तोता पिंजरा दाना पानी
सदियों से रही यही कहानी
बंधन चंदन या अभिशाप
बना जीवन छोटी सी नाप
रटे जिह्वा एक ही जाप
खुश-नाखुश ना हैरानी
तोता पिंजरा दाना पानी
सदियों से रही यही कहानी
इच्छा मर गई चाव ना रहा
नींद विस्मृत ख्वाब ना रहा
नियति समझ ताव ना रहा
कातर नजरें लगे विरानी
तोता पिंजरा दाना पानी
सदियों से रही यही कहानी
— व्यग्र पाण्डे