31 की उम्र की कविता
मेरी कविता ‘वेश अनेक, राज्य अनेक’ यानी ‘तुम पक्के हिंदुस्तानी’ ने 31 वर्ष पूर्ण की । पहलीबार यह कविता पूर्णिया, बिहार से प्रकाशित होनेवाली मासिक पत्रिका ‘भागीरथी’ की अगस्त-1989 अंक में प्रकाशित हुई । सन 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर ने नववर्ष शुभकामना-पत्र के साथ इस कविता की प्रति भी मुझे प्रेषित किये थे।
वर्ष 1995 में राष्ट्रीय स्तर पर नई दिल्ली में इस कविता के लिए न केवल ‘राष्ट्रीय कविता अवार्ड’ प्राप्त हुई, अपितु कवि को ‘राष्ट्रीय राजीव गाँधी युवा कवि अवार्ड’ से भी नवाजा गया ।
इतना ही नहीं, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा संबोधित भोपाल युवा महोत्सव 1995 हेतु संलग्न कविता स्वीकृत और प्रशंसित भी हुई थी।
वर्ष 1995 में ही पूर्व राष्ट्रपति स्व. ज्ञानी जैल सिंह की हिंदी प्रचार-प्रसार संबंधी संस्था ने पंजाब के स्कूलों में इस कविता को पाठ्यक्रम में लाने के लिए स्वीकारात्मक अनुशंसा सरकार को भेजे थे।
इस कविता की प्रशंसा डॉ. वेदप्रताप वैदिक, डॉ. एस. नाडिग, स्व. जयप्रकाश भारती, डॉ. शेरजंग गर्ग, श्री विजय किशोर मानव इत्यादि मनीषियों ने भी किए हैं ! सन 1995 में ही यह कविता ‘अभी कुछ शेष है’ नामक संग्रह में भी आ चुकी है।