कविता
क्या सच मे हक उन्ही भी॥
अपनी शर्तो पे जिदंगी जीने का॥
मगर ये सब कागजी बाते है॥
जो हकीकत से जुदा है॥
कुछ लोगो को हक नही दिया जाता
कैद कर ली जाती है॥
उनकी आजाद॥
और सपने दिखाए जाते है॥
और जुमले सुनाए जाते है॥
आभिषेक जैन
क्या सच मे हक उन्ही भी॥
अपनी शर्तो पे जिदंगी जीने का॥
मगर ये सब कागजी बाते है॥
जो हकीकत से जुदा है॥
कुछ लोगो को हक नही दिया जाता
कैद कर ली जाती है॥
उनकी आजाद॥
और सपने दिखाए जाते है॥
और जुमले सुनाए जाते है॥
आभिषेक जैन