गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

रूठ कर ऐसे न जाना चाहिए।

कुछ वफा भी याद आना चाहिए।‌।
दोस्तों की दोस्ती तो देख ली,
दुश्मनों को आजमाना चाहिये।।
कांटों की जब पहरेदारी शख्त हो,
फूल को पर्दे में आना चाहिये।
रुख से पर्दा हट गया है चांद के,
जोर तुमको आजमाना चाहिये।।
जब कभी दीदार उनका हो जाये,
बाहों की माला बनाना चाहिये।।
आंखों को जब रास्ता मुमकिन लगे,
तभी दिल से दिल मिलाना चाहिए।
शाम है अब रौशनी भी शेष है,
दीप को अब जगमगाना चाहिए।।

शेषमणि शर्मा 'इलाहाबादी'

जमुआ मेजा प्रयागराज उतर प्रदेश