मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां पर संघन जंगल की शुद्ध आबोहवा है।इतनी प्राकृतिक संपदा निःशुल्क प्रकृति देती आई है।किंतु कोरोना की आपदा इंसानों पर आगई है। जिससे वो जूझता जा रहा है।वही प्रकृति कई तरह के जीव – जंतु का पोषण कर रही है.साथ ही प्रकृति की प्रदूषित हवा निर्मल हो गई है। स्वच्छता हर स्थान पर नजर आने लगी है। पृथ्वी के रहवासी संक्रमण से जूझ रहे है।.ये संक्रमण को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित अभी तक सुनने पढ़ने में नहीं आया।.संक्रमण की चेन तोड़ने की बात सभी करते मगर संक्रमण के आँकड़े घटते बढ़ते हर जगह दिखाई देते है। अनलॉक प्रक्रिया भी इसी कारण से बढ़ाई जाती होगी।
संक्रमण काल मे शाकाहारी और मांसाहारी भोजन करना इंसान की अपनी निजी पसंद होती है| देखा जाए तो शाकाहारी भोजन में स्वास्थ्य के लिए उपयोगी पोषण तत्व रहते ही है |शाकाहारी भोजन को विदेशों में पसंद किया जाने लगा है | शाकाहार शरीर और मन मानवीय संवेदनाओं का सही रूप में पहचान करवाता है | शाकाहार बीज,वनस्पतियों से बनाए गए आहार को शाकाहार कहा जाता है | इसका उपयोग हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है | भोजन तत्व की हमारे शरीर को आवश्यकता होती जैसे प्रोटीन,वसा ,ऊर्जा (कैलोरी )चाहिए वो शाकाहारी भोजन से पूर्ण हो जाती है |प्राचीन समय से ही जीवन शैली में शाकाहारी भोजन स्वस्थ्यता का प्रतिक माना गया है |विकसित देशों का झुकाव इस और बढ़ा और उनमे भी शाकाहारी भोजन का अनुसरण करने की सोच विकसित होने लगी है |मांसाहार की तुलना में शाकाहार सस्ता और सुलभ होता है |शाकाहारी भोजन शीघ्र पच कर बिमारियों को आने से रोकता है | स्वस्थ चित मन ,तामसी प्रवृति को दूर करने हेतु शाकाहार भोजन को प्राथमिकता देना आवश्यक है ताकि शरीर में प्रतिरोध क्षमता बढ़कर जीवन में स्वस्थ्यता का लाभ प्राप्त किया जा सकें | इससे ये मालूम होता है कि कोविड -19 :जैवविविधता संरक्षण -हमारे समाधान प्रकृति में है।
नीम, तुलसी आदि कई पेड़- पौधे जो संक्रमण रोकथाम हेतु रोगनाशक होते है।गेंहू की कोठियों में नीम के पत्ते डालते है।पत्तियों को उबालकर स्नान टहनियों से दातुन आदि का उपयोग करते आरहे है।तुलसी भी वायुमंडल को स्वच्छ कर ,चाय में पत्तो को डालकर निरोगी रहने की परंपरा विधमान है।गोमूत्र का घरों में छिड़काव एवं पोछा लगाने में उपयोग काफी लाभप्रद रहता है।. कहने का आशय ये है कि संक्रमण रोकने के सस्ते औऱ सुलभ साधन प्राचीन समय से कई लोग उपयोग करते आए है।इनका भी उपयोग भी करते रहना चाहिए। शासन प्रशासन के द्धारा को सुधार की कार्यवाही जारी है मगर लोगो की लापरवाही मास्क नही। पहनना,दूरी नही रखना,हाथों को सेनेटाइज नही करना आदि नियमों के उल्लंघन से संक्रमणकी स्थिति के आंकड़ों को बढ़ा रही है। संक्रमण रोकना है तो घरों में रहकर संक्रमण दूर करने के नियमों का पालन करना होगा।
एक जानकारी के मुताबिक अमेरिका की नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं कोरोना रोगियों पर नज़र रखने का नया तरीका ईजाद किया है। अमेरिका की नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं डाक टिकट के आकार का सेंसर युक्त उपकरण तैयार किया जो बेहद मुलायम और लचीला है। इसे गले के निचले हिस्से पर लगाया जा सकता है। त्वचा पर होने वाले बेहद मामूली कंपन ,श्वसन तंत्र पर नज़र ,खांसी की गणना आदि कर बीमारी की प्रारंभिक अवस्था में ही पहचान करने वाले उपकरण से कोरोना रोगियों पर नजर रखने में आसानी होगी। ऐसे उपकरण की सुविधा बीमारी की प्रारंभिक अवस्था में ही पहचान करने हेतु मंगवाए जाना चाहिए ताकि ये चिकित्सा के क्षेत्र में मददगार साबित हो।इसके साथ ही अतिमहत्वपूर्ण आवश्यक सेवाओं के कार्यालयों छोड़ कर शेष पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए।महामारी से अंतराष्ट्रीय स्तर पर सब देश जूझ ही रहे है.देश पर जब आपदा का हमला हो तो निर्णय लेना आवश्यक की पूर्णतया घर से बाहर ना निकलने का संकल्प संक्रमणता तो काफी कम कर सकता है।और ये ही संक्रमण से बचाव का सही तरीका है।सुविधाओं को देखें तो कोविड -19 से जंग मदद करेंगे रोबोट्स के8 एवं ,’डॉग ‘रोबोट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। कई प्रकार के रोबोट्स ऐसे भी है जो इसकी रेंज में आने वाली लाइट्स सूक्ष्मजीवों के डीएनए या आरएनए को नष्ट कर देती है.ऐसे रोबोट्स को मंगवाना चाहिए। ताकि कोविड -19 के अलावा दूसरे कार्यों में मददगार साबित होकर व मेडिकल के क्षेत्र में जाँच में सहयोगी बनकर कोविड -19 पर शीघ्र काबू पा सकें।इसके अलावा सुझाव है की वर्तमान में कोरोना के हॉस्पिटल के वैकल्पिक व्यवस्था के लिए स्कूल,कॉलेज आदि का उपयोग कई जगह किया जा रहा है।यदि शिक्षण संस्थान खुले तो मरीजों की व्यवस्था के लिए योजना बनानी आवश्यक होगी। दूसरा सुझाव ये है कि कोरोना संकट काल में पुलिस,स्वास्थ्यकर्मी ,शिक्षक प्रशासनिक अधिकारी,कर्मचारी आदि के साथ सफाईकर्मी अपने कर्तव्यों का कोरोना पीड़ितों के लिए अपनी सेवा का निर्वहन करते आ रहे है। संक्रमण काल में सफाईकर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।जो अपनी जान हथेली पर रखकर संक्रमित मरीज,शव को उठाते एवं हर स्थान की सफाई तालाबंदी के दौरान करते है।गाँव शहरों के सफाई कर्मियों का भी सम्मान होना चाहिए। शासन, प्रशासन के नियमों,निर्देशो का पालन करें। सतर्कता ही हमारी सुरक्षा है।
— संजय वर्मा ‘दॄष्टि’