गजल
नफरतो के दौर मे चाहतो की बाते कर
मुहब्बत देने वाले से कुछ देर मुलाकते कर
वो कैसा है ये समझने के लिय
पास बैठ उसके साथ और उस से बाते कर
दिन बनाना हो तुम्हे जब अपना तो कर लो इतना ही
दिन भी साथ रहो साथ उसके और अपनी राते कर।
आभिषेक जैन
नफरतो के दौर मे चाहतो की बाते कर
मुहब्बत देने वाले से कुछ देर मुलाकते कर
वो कैसा है ये समझने के लिय
पास बैठ उसके साथ और उस से बाते कर
दिन बनाना हो तुम्हे जब अपना तो कर लो इतना ही
दिन भी साथ रहो साथ उसके और अपनी राते कर।
आभिषेक जैन