गीतिका/ग़ज़ल

गजल

वो तेरे शहर गुलाम है

गुलामी ही जिसका काम है

न पूछ उसके दिल की हसरते

क्या ये रहा उसे चाहते

क्या हु आ हो जो नाकाम है

गम मे डूबी उसकी शाम है

भले शिकायतो के खत लिए

मिले भले खुलूसो मुहब्बत लिय

शिकायते उसकी आम है

आभिषेक जैन

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश