हास्य व्यंग्य

यतो अधर्मः ततो जयः

परित्राणाय पापीनां, विनाशाय च सुकृताम I
अधर्मसंस्थापनार्थाय ,संभवामि नित्यप्रतिम II
आजकल सत्य का प्रतिष्ठान धूल-धूसरित और उपेक्षित हो गया है तथा झूठ की चमक – दमक बढ़ गई है, सत्यनिष्ठ प्रताड़ित – अपमानित हो रहे हैं तथा कपटी पुरस्कृत एवं आभामंडित हो रहे हैं I मंच और पार्श्व की भाषा का अंतर गहरा हो गया है I हमारे देश का महान नारा “सत्यमेव जयते” अब मुँह चिढाने लगा है I इसलिए हमारे परम मित्र घोंचूमल आजकल झूठ के व्यापार में अधिक रुचि लेने लगे हैं I उन्होंने एक नई पार्टी बनाई है जिसका नाम है – अखिल भारतीय मिथ्यावादी पार्टी I आगामी चुनाव में इस पार्टी को उतारने के लिए उन्होंने जोर -शोर से तैयारी शुरु कर दी है I उनका एक सूत्री कार्यक्रम है- झूठ, नकल और कालाबाजारी को वैध बनाना I उनका कहना है कि झूठ, नकल और कालाबाजारी की प्रवृत्ति आदिम और मौलिक है I हजारों वर्षों से ‘सत्यमेव जयते’ कहने के बाद भी असत्य, कपट, दुराचरण और अनैतिकता की प्रवृत्ति अक्षुण्ण ही नहीं है, बल्कि निरंतर फल-फूल रही है I हाल ही में उन्होंने अपनी पार्टी का घोषणा पत्र प्रकाशित किया है जिसमें उन्होंने अपने उद्देश्यों और भावी योजनाओं की रूपरेखा खींची है I घोषणा पत्र की मुख्य बातें इस प्रकार है-
“मिथ्यावादी पार्टी का उद्देश्य झूठ को राष्ट्रीय महत्व देकर बहुसंख्यक जनता को न्याय दिलाना है I लोकतंत्र बहुमत का शासन है लेकिन बहुमत होते हुए भी झूठों को सत्ता से दूर रखा गया है I हमारी पार्टी मिथ्याचारवादियों को सत्ता में हिस्सेदार बनाएगी I हम झूठ बोलेंगे, झूठ सोचेंगे और झूठ ही करेंगे I हम झूठ की फसल उगायेंगे और विश्व के अन्य देशों में उसका निर्यात करेंगे I संयुक्त राष्ट्र संघ में हम अपनी मिथ्या भाषा को शामिल कराने का प्रयत्न करेंगे I हमारा ओढ़ना – बिछाना सब कुछ झूठ होगा I हम प्रतिवर्ष ऐसे लोगों को ‘झूठ रत्न’ से सुशोभित करेंगे जो अपने मिथ्या आचरण से ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करेंगे कि आनेवाली पीढ़ी के लिए मिसाल बन सके I अपने -अपने क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करनेवाले सात लोगों को ‘नकल शिरोमणि’ ‘घोटाला पुरुष’, ‘कालाबाजार सम्राट’, ‘भ्रष्टाचरण गौरव’, ‘रिश्वतनंदन’, ‘भ्रष्टाधिपति’, ‘कपटी महाराज’, ‘धोखामूर्ति’ पुरस्कार से अलंकृत किया जाएगा I इसी प्रकार ऐसे शिक्षकों को राष्ट्रीय अलंकरण से सज्जित किया जाएगा जो वर्ष में एक भी कक्षा नहीं लेंगे I ऐसी दवा कंपनियों को ‘यमराज’ पुरस्कार दिया जाएगा जो अपने दवा कारखानों में केवल नकली दवा बनाएंगे I ऐसे डॉक्टरों को ‘कुंभीपाक प्रिय’ की उपाधि दी जाएगी जो शल्य क्रिया के समय अपने मरीजों के पेट में कैंची अथवा रुमाल छोड़ देंगे I उन हकीमों को भी पुरस्कृत करने की हमारी आकर्षक योजना है जिनके सर्वाधिक मरीज भगवान को प्यारे होकर कुंभीपाक की जनसंख्या बढ़ाएंगे I ऐसे क्लर्क भी पुरस्कृत किए जाएंगे जो हर फाइल पर कुंडली मारकर बैठेंगे I वैसे सेवापरायण अधिकारी जो सरकारी संपत्ति को अपने बाप की संपत्ति समझकर उसका भरपूर इस्तेमाल करेंगे उन्हें भी पुरस्कार देने की हमारी भावी राष्ट्रीय योजना है I कल – कारखानों के श्रमिकों के लिए हमारी अनेक सुनहरी योजनाएं हैं I हम ऐसे श्रमिकों को ‘अकर्मवीर पुरस्कार’ से पुरस्कृत करेंगे जो बीडी फूंकने और गप्प लड़ाने के अलावा कुछ नहीं करेंगे I
हम इतिहास को फिर से लिखेंगे I हम मिथ्याचारियों,कालाबाजारियों, देशद्रोहियों और धोखेबाजों की गौरव गाथा को इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों में लिपिबद्ध करेंगे I इनकी उदात्त परंपरा अक्षुण्ण रहे तथा हमारी भावी पीढ़ी इनके करतबों के बारे में जान सके, इसके लिए हम राष्ट्रीय संग्रहालय एवं स्मृति सदन की स्थापना करेंगे I घोटालेबाजों, आलसियों और अफवाहबाजो की राष्ट्रीय स्तर पर एक सूची बनाएंगे और योग्यता के अनुसार उन्हें कोई न कोई सम्मानजनक पद देकर वर्षों से उपेक्षित – वंचित – प्रताड़ित देशरत्नों को सामाजिक न्याय देकर महिमामंडित करेंगे I निगमों, निकायों, बोर्डों के अध्यक्ष पदों पर आसीन अधिकारियों की संपत्ति की जांच की जाएगी I जो अधिकारी ईमानदार पाए जाएँगे और जिनका खाता स्विस बैंक में नहीं होगा उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा I सर्वत्र झूठ का साम्राज्य होगा I झूठतंत्र को मजबूत करने के लिए हम पत्र – पत्रिकाओं का प्रकाशन करेंगे – हमारे प्रमुख पत्र के नाम होंगे – असत्य दर्पण, झूठवाचक, मिथ्याचार दर्शन, अफवाह आदि I हम अंग्रेजी को राष्ट्रभाषा बनाएंगे और हिंदी पर प्रतिबंध लगा देंगे I प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को ‘अंग्रेजी दिवस’ झूठ दिवस के रूप में मनाया जाएगा I काव्यशास्त्र में संशोधन कर नवरसों को खारिज कर देंगे तथा उनके स्थान पर ग्यारह अभिनव रसों को प्रतिस्थापित करेंगे I वे रस होंगे – मिथ्याचार रस, रिश्वत रस, कदाचार रस, अपमिश्रण रस, निंदा रस, चाटुकारिता रस, अफवाह रस, अश्लील रस, व्यभिचार रस I प्रत्येक विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए ‘मिथ्याचार विज्ञान’ नामक विषय पढ़ना अनिवार्य होगा I परीक्षा में नकल करना जरूरी होगा और जो छात्र नकल नहीं करेंगे उन्हें परीक्षा से निष्कासित कर दिया जाएगा I तोड़फोड़ और गुंडागर्दी की पृष्ठभूमि वाले छात्रों को सरकारी नौकरियों में पचास प्रतिशत आरक्षण मिलेगा I फिल्मों में अंगप्रदर्शन अनिवार्य होगा और फिल्मी नायिकाओं के लिए कपड़े पहनने पर प्रतिबंध होगा I हम न्यायिक प्रणाली को पुनः पारिभाषित करेंगे I हमारी नई उदार न्यायिक व्यवस्था में भैंस वही ले जाएगा जिसके हाथ में लाठी होगी I दुर्बल, लाचार और अपंग व्यक्ति को जीने का अधिकार नहीं होगा I कुछ ईमानदार किस्म के असामाजिक प्राणी बचे रह जाएंगे I उन पर विशेष अदालत में मुकदमा चलाया जायेगा और यदि साबित हो गया कि वे वास्तव में ईमानदार और सत्यनिष्ठ जीवन जीते रहे हैं तो उन्हें कारागार में डाल दिया जाएगा I ईमानदारी, सच्चाई, करुणा, सहानुभूति, मानवता आदि राष्ट्रविरोधी प्रवृतियों में लिप्त रहनेवाले लोगों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी और इन बेकार के शब्दों को शब्दकोशों से निकाल दिया जाएगा I हमारे नारे होंगे – अकर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन….राष्ट्रीय संपत्ति, बाप की संपत्ति……झूठ की फसल उगाओ, देश खुशहाल बनाओ…..झूठों का बोलबाला, सच्चे का मुँह काला……असत्यमेव जयते I
अंधविश्वास, जादू –टोना, तंत्र -मंत्र इत्यादि विज्ञानसम्मत विचारों को प्रोत्साहित किया जाएगा I इन विचारों के संवर्धन और उन्नयन के लिए ‘झाड़- फूंक आयोग’ तथा ‘धार्मिक ढोंग शोध संस्थान’ की स्थापना की जाएगी I देश के ओझों और तांत्रिकों को इन संस्थानों का अध्यक्ष बनाया जाएगा और अपने गुरु स्वामी झूठानंद को राष्ट्रीय साधु घोषित किया जाएगा I हमारा राष्ट्रीय ध्वज काले रंग का होगा जिस पर उल्लू का चित्र होगा और चित्र के ऊपर अंकित होगा – यतो अधर्मः ततो जयः I असत्य, हिंसा और कदाचार आदि मूल्यों को प्रोत्साहित कर हम ऐसा नारकीय शासन तंत्र स्थापित करेंगे जिसमें जनता को सब कुछ करने, न करने की आजादी होगी I इति सकल कलिकलुष विध्वंसने मिथ्या महात्म प्रथम सोपानः समाप्तः II

*वीरेन्द्र परमार

जन्म स्थान:- ग्राम+पोस्ट-जयमल डुमरी, जिला:- मुजफ्फरपुर(बिहार) -843107, जन्मतिथि:-10 मार्च 1962, शिक्षा:- एम.ए. (हिंदी),बी.एड.,नेट(यूजीसी),पीएच.डी., पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक,सांस्कृतिक, भाषिक,साहित्यिक पक्षों,राजभाषा,राष्ट्रभाषा,लोकसाहित्य आदि विषयों पर गंभीर लेखन, प्रकाशित पुस्तकें :1.अरुणाचल का लोकजीवन 2.अरुणाचल के आदिवासी और उनका लोकसाहित्य 3.हिंदी सेवी संस्था कोश 4.राजभाषा विमर्श 5.कथाकार आचार्य शिवपूजन सहाय 6.हिंदी : राजभाषा, जनभाषा,विश्वभाषा 7.पूर्वोत्तर भारत : अतुल्य भारत 8.असम : लोकजीवन और संस्कृति 9.मेघालय : लोकजीवन और संस्कृति 10.त्रिपुरा : लोकजीवन और संस्कृति 11.नागालैंड : लोकजीवन और संस्कृति 12.पूर्वोत्तर भारत की नागा और कुकी–चीन जनजातियाँ 13.उत्तर–पूर्वी भारत के आदिवासी 14.पूर्वोत्तर भारत के पर्व–त्योहार 15.पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक आयाम 16.यतो अधर्मः ततो जयः (व्यंग्य संग्रह) 17.मणिपुर : भारत का मणिमुकुट 18.उत्तर-पूर्वी भारत का लोक साहित्य 19.अरुणाचल प्रदेश : लोकजीवन और संस्कृति 20.असम : आदिवासी और लोक साहित्य 21.मिजोरम : आदिवासी और लोक साहित्य 22.पूर्वोत्तर भारत : धर्म और संस्कृति 23.पूर्वोत्तर भारत कोश (तीन खंड) 24.आदिवासी संस्कृति 25.समय होत बलवान (डायरी) 26.समय समर्थ गुरु (डायरी) 27.सिक्किम : लोकजीवन और संस्कृति 28.फूलों का देश नीदरलैंड (यात्रा संस्मरण) I मोबाइल-9868200085, ईमेल:- [email protected]