बेअदब चाचा
अभी से सपने देखने तुमने शुरु तो कर दिए पर कल तुमको हकीकत से भी सामना करना पडेगा तब मालूम पडेगा
कि जिदंगी सपना नही होता
पापा ने अपने बेटो को समझते हुए कहा जो अपना जमा जमाया काम छोड कर अपना खाब पूरा करना चाहता था
वो तो शायर बनने का वो बात अलग है के उसे अभी शायरी का शा भी नही आता था
कभी कभार अपना दिल बहलने के लिए छोटी मोटी तुक बंदी कर लेता था
और ख्याल की सेखी बघरने को शायरी समझ लेता था
पर इक दिन उनकी मुलाकात
इक असली शायर से हो गयी
जिन्होने उसका कलाम सुनकर और मेहनत करने को कहा
वो रात दिन उसी मे लगा रहता
कई बार तो अपने पिता जी से उनकी मार कुटाई भी हो जाता
पर ये शायरी भूत उनके सिर से उतरने का नाम ही नही ले रहा था
इक दिन क्या हुआ के वो अपने ख्याल मे खोये थे
शायरी वाले तभी दुकान पर ग्राहक आए पर ध्यान न होने के कारण वो खफा होकर लौट गए
इस लडके को अक्ल कब आएगी
खुदा जाने
वो रात दिन उसकी चिन्ता करने लगे
तभी उनके मित्र की समझा ईश पर उन्होने उसे अपने दूर के चाचा के पास भेज दिया
वो चाचा शायरी और शायर के नाम से ही नफरत करते थे
अगर मुहल्ले मे कोई शेर पढता मिले तो उससे कहते
देखो बेटे शायरी मे कुछ नही धरा करना है तो काम धंधा करो
लोग उन्हे मजाक मे बेअदब चाचा कहकर चिढाने लग गय
— आभिषेक जैन