हास्य व्यंग्य

इंद्रप्रस्थ का राजपुरुष

झूठशास्त्र, पाखंड पुराण और हवाला दर्शन जैसी कालजयी पुस्तकों के लेखक श्री चौकस छेदनीवाल का सरकारी सेवा में दम घुट रहा था I पांच वर्षों तक सरकारी सेवा करने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि यहाँ तो उनकी महत्वाकांक्षाओं को पंख नहीं लगेंगे I उनकी महत्वाकांक्षा तो बड़ा आदमी बनने की थी I नाम हो, पास में दाम हो और फ़ोकट में शोहरत भी मिले I सरकारी नौकरी में यह सब मिल नहीं सकता था I क्या लाभ ऐसी नौकरी से ? सुबह होती है, शाम होती है, जिन्दगी यों ही तमाम होती है I कोल्हू के बैल की तरह जुटे रहो, महीने के अंत में हाथ कुछ नहीं लगना I ऐसी जिंदगानी किस काम की ? सरकारी सेवा से उनका मन उचटने लगा I उन्होंने नौकरी में रहते हुए “कूंथने का अधिकार” नामक आंदोलन का सूत्रपात किया I लोग जुटते गए, कारवां बनता गया I जीवन से थके – हारे और महत्वाकांक्षाओं के रथ पर सवार पत्तलकार, गुंडाशास्त्र के अध्येता, दलाल विधा मनीषी और गिरहकट विज्ञान के छात्र फटाफट ‘कूंथने का अधिकार” अभियान से जुड़ने लगे I छेदनीवाल का कहना था कि कूंथना एक नैसर्गिक क्रिया है, कूंथने से पीड़ा में राहत मिलती है, दुःख- दर्द दूर होता है I कूंथ को रोकना मौलिक अधिकार का हनन है I अतः इंद्रप्रस्थ के नागरिकों को कूंथने का अधिकार मिलना चाहिए, हमें कूंथने दो, कूंथने की आज़ादी दो, कूंथने में बाधा मत पहुँचाओ I सबको इस आंदोलन में एक नई संभावना, आशा की एक नई किरण दिखाई देने लगी I क्या पता इस आन्दोलन के गर्भ से उनके लिए एक नया सूर्य उदित हो जाए I कुछ युवक तो ‘झांसापुरुष’ के झांसे में आकर अच्छे वेतनमान की नौकरी छोड़ इस अभियान में सम्मिलित हो गए I एक प्रमुख समाचार चैनल के लफ्फाज एंकर कुमार आंसूपोंछ, मांसल चुटकुलों के राष्ट्रीय कवि कुमार बकवास, अखिल भारतीय आवारा संघ के भूतपूर्व और अभूतपूर्व अध्यक्ष बकोटन सिंह, अपराध शास्त्र की परम विदुषी निराशा ओझा, वरिष्ठ वकील अशांत खरदूषण, बौद्धिक कब्ज से ग्रस्त दुर्बुद्धि यादव आदि झूठशास्त्री पंडितों ने इस अभियान को ऊँचाई पर पहुँचाया I आगे चलकर श्री चौकस छेदनीवाल ने एक नई पार्टी ‘गालबजाऊ पार्टी’ का गठन किया I श्री चौकस छेदनीवाल इस पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक बनाए गए क्योंकि गाल बजाने की कला में वे परम पारंगत थे I पंडित वही जो गाल बजावा I गोस्वामी तुलसीदास को सदियों पूर्व ज्ञात हो गया था कि कलियुग में गाल बजाने की कला को महत्व मिलेगा I इसीलिए उन्होंने गाल बजाने की कला में पारंगत लोगों को पंडित की संज्ञा से विभूषित किया था I आर्यावर्त में गाल बजाने की कला में माहिर लोगों के लिए सफलता के सभी द्वार खुल जाते हैं I इंद्रप्रस्थ की जनता के लिए श्री चौकस छेदनीवाल ने घोषणाओं का पिटारा खोल दिया – मुफ्त हवा, मुफ्त पानी, मुफ्त दवा, मुफ्त दारू I अनशन, धरना और आंदोलन की कोख से उत्पन्न इंद्रप्रस्थ के तारणहार श्री चौकस छेदनीवाल इंद्रप्रस्थ की मुफ्तखोर धरती पर एक नए तरह की राजनीति करने के लिए अवतरित हुए थे I इंद्रप्रस्थ में चुनाव की घोषणा हुई I गाल बजाऊ पार्टी ने अपना चुनावी घोषणापत्र जारी किया –
“चुनाव में यदि गाल बजाऊ पार्टी को बहुमत मिलेगा तो हम गरीबी को सात समुद्र पार भगा देंगे, देश में दूध – दही की नदियाँ बहेंगी और सोने- चांदी की सड़कें निर्मित की जाएंगी I किसी को कोई काम करने की आवश्यकता नहीं होगी I भ्रष्टाचार की खेती की जाएगी और घोटाले के कल – कारखाने स्थापित किए जाएंगे I न कोई भूखा – नंगा होगा, न कोई बेरोजगार होगा I ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह’ को राष्ट्रीय नारे का गौरव प्रदान किया जाएगा I कश्मीर ही नहीं, सभी प्रदेशों के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पद सृजित किए जाएँगे I इस साहसिक कदम से देश की बेरोजगारी दूर हो जाएगी और सत्ता में अधिकतम लोगों की भागेदारी सुनिश्चित होगी I नक्सलवाद और देशद्रोह से संबंधित मामलों में कारावास की सजा काट रहे भारत के सपूतों को सम्मान सहित मुक्त कर दिया जाएगा और उन्हें स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा देकर हर महीने पेंशन दी जाएगी I वंदेमातरम् और भारत माता की जय बोलने पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाएगा I गोपालकों व गोसेवकों पर अतिरिक्त कर लगाया जाएगा क्योंकि गाय के गोबर से गंदगी फैलती है, लेकिन मस्जिद के मौलानाओं को प्रति माह पेंशन दी जाएगी I मौलवी – मौलाना गंगा – जमुनी तहजीब का चूरण बांटते हैं I इसलिए हमारा यह कर्तव्य है कि हम उनकी सेवाओं को उचित सम्मान दें I सिमी, जेकेएलएफ, अर्बन नक्सल और इन जैसे अन्य देशप्रेमी संगठनों से प्रतिबंध हटा दिया जाएगा और जाकिर नाइक को राष्ट्रीय इमाम घोषित किया जाएगा I सर्वत्र सुख – शांति का साम्राज्य स्थापित होगा I यदि हम विजयी हुए तो देश की सीमाएं खोल देंगे और पलक पाँवड़े बिछाकर बांग्लादेशी, रोहिंगिया आदि विदेशी शरणार्थियों का स्वागत करेंगे I हम प्रतिरक्षा सम्बन्धी फालतू खर्च को बंद कर देंगे I आखिर ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ हमारा प्राचीनतम आदर्श वाक्य है I जब पूरा संसार ही परिवार है तो कैसी सीमा, कैसा युद्ध !! अगर हम विजयी हुए तो इंद्रप्रस्थ के निवासियों के लिए लाल किले के दरवाजे खोल देंगे ताकि यहाँ के निवासी लाल किले के अन्दर अपना- अपना झोंपड़ा डाल सकें I इसमें रोहिंगिया को प्राथमिकता दी जाएगी क्योंकि वे हमारे सम्मानित अतिथि हैं और ‘अतिथि देवो भवः’ हमारा प्राचीनतम घोषवाक्य है I जनता को पहनाने के लिए हम अपने विधायकों को भारी मात्रा में टोपी उपलब्ध कराएंगे और उन्हें आदेश देंगे कि वे समारोहपूर्वक जनता को टोपी पहनाएँ I टोपी के साथ – साथ हम अपने विधायकों और कार्यकर्ताओं को लंगोट भी देंगे क्योंकि हमारे अनेक कार्यकर्त्ता ढीली लंगोट के आरोप में पकड़े गए हैं I हम जनता को “झूठ बोलने का अधिकार” (राइट टू लाई) देंगे I झूठ बोलना हमारा बुनियादी अधिकार है I इसलिए हम न्यायालय में भी झूठी गवाही को मान्यता प्रदान करेंगे I हम झूठ सोचेंगे, झूठ बोलेंगे, झूठ ओढेंगे और झूठ ही बिछाएँगे I हम झूठ की फसल उगाएंगे और उसे अन्य देशों में निर्यात करेंगे I हम झूठ के निर्यात से इंद्रप्रस्थ का राजकीय खजाना हवाई आंकड़े से ऊपर पहुँचा देंगे I हम इस साल का झूठ रत्न पुरस्कार राज्यसभा सांसद श्री बकोटन सिंह को देंगे I इंद्रप्रस्थ की जनता की भावना के अनुरूप हम इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में ‘झूठ और पाखंड विज्ञान’ नामक एक नया पाठ्यक्रम शुरू करेंगेI”
चुनाव में इस घोषणापत्र का सकारात्मक असर पड़ा I गालबजाऊ पार्टी को बहुमत ही नहीं मिला मिला बल्कि छप्परफाड़ बहुमत मिला I राजनीति के चतुर सुजान कहते हैं कि इंद्रप्रस्थ में यदि दाउद भी मुफ्त की दुकान खोल दे तो वह भी विजयी होकर राजसिंहासन पर बैठ सकता है I कार्यकर्ताओं के अनुरोध पर श्री चौकस छेदनीवाल इंद्रप्रस्थ के सिंहासन पर आसीन हुए I उन्हें बेताल के प्रश्नों का सामना तो करना नहीं था I श्री चौकस छेदनीवाल आजकल इंद्रप्रस्थ के राजसिंहासन को धन्य कर रहे हैं I सिंहासन को धन्य करने का उनका कोई इरादा नहीं था, लेकिन कार्यकर्ताओं की इच्छा का सम्मान करते हुए उन्होंने बेमन से सिंहासन को धन्य करना स्वीकार किया है I श्री चौकस छेदनीवाल नेता का शातिर, पाखंडी, अराजक, झूठा और भ्रष्ट संस्करण सदियों में एक पैदा होता है I मासूम – सा कॉमनमैन दिखनेवाले इस चतुर नेता में अनेक अपराधी, देशद्रोही, भ्रष्ट और बेईमान नेताओं की आत्मा साँसे ले रही है I भोलाभाला चेहरा चिपकाए हवाई चप्पलधारी परम पाखंडी पुरुष अपने राजनैतिक भविष्य का आकलन कर प्रत्येक कदम उठाता है I श्री चौकस छेदनीवाल के जीवन दर्शन की किताब में ईमानदारी, राजनैतिक शुचिता और सच्चाई नामक पाठ ही नहीं है I भारतीय लोकतंत्र का यह पेपरबैक संस्करण इंद्रप्रस्थ की जनता की लाज लुट रहा है और वर्तमानजीवी जनता ने खतरों से जानबूझकर अपनी आँखें बंद कर ली हैं I इसी वर्तमानजीविता का लाभ उठाकर मुग़लों और अंग्रेजों ने सैकड़ो वर्षों तक यहाँ शासन किया था I इतिहास से कोई सबक नहीं सीखना इंद्रप्रस्थ का दूसरा सबसे बड़ा दुर्भाग्य है I वोट की वैतरणी पारकर सत्ता के स्विमिंग पुल में तैरता यह बैडमैन जनता को उल्लू बनाने में माहिर है I इसकी शैतानी करतूतों से अनभिज्ञ इंद्रप्रस्थ की जनता मुफ्त हवा, मुफ्त पानी का चुनावी चमनप्रास खाकर इस बदमाश बैडमैन की जयजयकार कर रही है I श्री चौकस छेदनीवाल का आजकल चतुर्दिक डंका बज रहा है I भारतीय राजनीति को उन्होंने नए मुहावरे और नया व्याकरण दिया है I उन्होंने अपनी ‘गालबजाऊ कला’ को महिमामंडित कर दिया है I इस पार्टी की अ-विचारधारा से प्रेरित होकर देश – विदेश के विश्वविद्यालयों में अनेक छात्र ‘गालबजाऊ कला’ पर अनुसंधान कर रहे हैं I अखिल भारतीय आवारा संघ के अध्यक्ष बकोटन सिंह इस गालबजाऊ पार्टी के प्रवक्ता हैं और श्रीमान इमरान हुसैन श्री चौकस छेदनीवाल के मीडिया सलाहकार हैं I बकोटन सिंह ने अपने बकोटपना के बल पर कई पुरस्कार झटक लिए हैं I वैसे आर्यावर्त में पुरस्कार प्राप्त करने की सबसे बड़ी योग्यता जोगाड़बाजी और बकोटपना ही है I श्री बकोटन सिंह जब पुरस्कार चयन समिति के अध्यक्ष थे तो उन्होंने जिन लोगों को कला- संस्कृति के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए पुरस्कार दिए थे वे पुरस्कृत लोग आज भी इस बात का अनुसंधान कर रहे हैं कि आखिर उन्हें किस योगदान के लिए पुरस्कार दिए गए थे !! इंद्रप्रस्थ राज्य में प्रत्येक वर्ष ‘सबसे ईमानदार आदमी’ का पुरस्कार दिया जाता है I इतिहास साक्षी है कि हमेशा योग्य व्यक्तियों को ही इस पुरस्कार से अलंकृत किया जाता रहा है I अभी तक दलाली, कमीशनखोरी, सट्टेबाजी और कालाबाजारी के क्षेत्र में परम पारंगत सभी ईमानदारों को इस पुरस्कार से विभूषित किया जा चुका है I छेदनीवाल ने अपने मित्र श्री आंसूपोंछ को अपना मीडिया सलाहकार बनाया था, लेकिन उनको यह पद हजम नहीं हुआ और वे अपना स्वयं का एजेंडा चलाने लगे I इसलिए श्री छेदनीवाल ने पद प्रहार कर श्री आंसूपोंछ को ‘गेट आउट’ कर दिया I वे पहले एक न्यूज़ चैनल में एंकर थे, लेकिन जब उन्हें लगा कि राजनीति पत्रकारिता से अधिक उपजाऊ क्षेत्र है तो उन्होंने ‘गाल बजाऊ पार्टी’ का दामन थाम लिया I श्री आंसूपोंछ खुद को बड़ा खिलाड़ी समझते थे, लेकिन जब उन्होंने छेदनीवाल के राजनीतिक खेल को देखा तो उन्हें समझ में आया कि टीवी स्टूडियो में बैठकर पत्रकारिता के नाम पर अपना एजेंडा चलाना तो आसान है, लेकिन राजनीति के चंडूखाने में सफलता के गुड़ खाने के लिए अलग किस्म का भेजा चाहिए I श्री आंसूपोंछ संसद को अशोभनीय बनाने की अभिलाषा पाले बैठे थे, लेकिन छेदनीवाल ने उन्हें ‘मियाँ और मसूर की दाल’ वाले स्टाइल में उनकी आशा की भ्रूणहत्या कर दी I आँख के अंधे और गाँठ के पूरे जिन भक्तों ने छेदनीवाल के मंदिर में पत्र – पुष्प अर्पित किए उन्हें लोकतंत्र के मंदिर में प्रवेश करने का पासपोर्ट दे दिया गया I श्री आंसूपोंछ के ‘दिल के अरमां आंसुओं में बह गए’ और उन्होंने निराश होकर राजनीति देवी को तलाक दे दिया I श्री आंसूपोंछ न घर के रहे, न घाट के I अब पत्रकार लोग उन्हें पत्रकार नेता मानते और नेता लोग उन्हें नेता नहीं मानते I न खुदा ही मिला, न बिसाल – ए – सनम, न इधर के रहे, न उधर के रहे I आजकल अपनी बेरोजगारी के गम को गलत करने के लिए वे यूट्यूब पर एक ‘बकलोली’ कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं, लेकिन बकलोली में किसी की रुचि नहीं है I इसलिए उनके परिवार के सदस्यों के अतिरिक्त उनकी बकलोली को कोई नहीं देखता I इति सकलकलिकलुषविध्वंसने सत्ता सुखाए श्री छेदनीवालाय धूर्त कथा महात्मः प्रथम सोपानः समाप्तःI

*वीरेन्द्र परमार

जन्म स्थान:- ग्राम+पोस्ट-जयमल डुमरी, जिला:- मुजफ्फरपुर(बिहार) -843107, जन्मतिथि:-10 मार्च 1962, शिक्षा:- एम.ए. (हिंदी),बी.एड.,नेट(यूजीसी),पीएच.डी., पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक,सांस्कृतिक, भाषिक,साहित्यिक पक्षों,राजभाषा,राष्ट्रभाषा,लोकसाहित्य आदि विषयों पर गंभीर लेखन, प्रकाशित पुस्तकें :1.अरुणाचल का लोकजीवन 2.अरुणाचल के आदिवासी और उनका लोकसाहित्य 3.हिंदी सेवी संस्था कोश 4.राजभाषा विमर्श 5.कथाकार आचार्य शिवपूजन सहाय 6.हिंदी : राजभाषा, जनभाषा,विश्वभाषा 7.पूर्वोत्तर भारत : अतुल्य भारत 8.असम : लोकजीवन और संस्कृति 9.मेघालय : लोकजीवन और संस्कृति 10.त्रिपुरा : लोकजीवन और संस्कृति 11.नागालैंड : लोकजीवन और संस्कृति 12.पूर्वोत्तर भारत की नागा और कुकी–चीन जनजातियाँ 13.उत्तर–पूर्वी भारत के आदिवासी 14.पूर्वोत्तर भारत के पर्व–त्योहार 15.पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक आयाम 16.यतो अधर्मः ततो जयः (व्यंग्य संग्रह) 17.मणिपुर : भारत का मणिमुकुट 18.उत्तर-पूर्वी भारत का लोक साहित्य 19.अरुणाचल प्रदेश : लोकजीवन और संस्कृति 20.असम : आदिवासी और लोक साहित्य 21.मिजोरम : आदिवासी और लोक साहित्य 22.पूर्वोत्तर भारत : धर्म और संस्कृति 23.पूर्वोत्तर भारत कोश (तीन खंड) 24.आदिवासी संस्कृति 25.समय होत बलवान (डायरी) 26.समय समर्थ गुरु (डायरी) 27.सिक्किम : लोकजीवन और संस्कृति 28.फूलों का देश नीदरलैंड (यात्रा संस्मरण) I मोबाइल-9868200085, ईमेल:- [email protected]