सत्य ही इंसानियत है
यदि बोलने की कोई चीज है तो वह है सत्य |सत्य से ही इंसानियत की जागृति होती है | इस के बल से मनुष्य बहुत कुछ कमा सकता है | व्यक्ति को अपनी काबिलियत दिखाने के लिए सच्चाई की आवश्यकता होती है | केवल सत्य के मार्ग पर चलकर हर कोई कामयाब हो सकता है | पर आज कल इसका उपयोग शायद जी कोई करता है | आज की पीढ़ी को देखकर ऐसा लगता है मानो सच्चाई का नामोनिशान ही मिट गया हो | पता नहीं आजकल लोग सत्ये से इतना क्यों घबराते हैं | या फिर इस शब्द का उनकी जीवन में कोई स्थान ही नहीं | इंसान अपने आप को बचाने के लिए अक्सर झूठ का सहारा लेता है | परंतु झूठ की उमर ज्यादा लंबी नहीं होती | छलो माना अच्छे कर्मों के लिए बोला हुआ झूठ छूट नहीं कहलाता पर हम अक्सर हर एक काम करें झूठ का सहारा ले पढ़ते हैं |
सत्य अपने आप में ही सबसे बड़ा धर्म है | माना कि सत्य से परेशानियां हो सकती है परंतु पराजित नहीं | जिस मनुष्य के लिए सुख और दुख एक समान हो और जिसके मन में कोई आशंका ना हो वही एक सिद्ध पुरुष के कहलाता है | हजार लोगों में से कोई एक मनुष्य सिद्ध होता है | और जो उस सिद्धि तक पहुंचाता है वही एक भगवान की सच्ची भक्ति करता है | दुनिया में ऐसे कहीं व्यक्ति है जो हररोज मंदिर जाते हैं | और भगवान को छड़ावे भी करते हैं | इसका अर्थ यह नहीं के उन्हें भगवान से सच्चा प्रेम है | परंतु उनके मन में सदैव डर लगा रहता है की उनके साथ कुछ बुरा ना हो जाए | प्यार से ज्यादा व्यक्ति डर से भक्ति करते हैं | जहां सत्य हैं वही भगवान विराजमान है | और जहा सत्य हैं वहां धर्म की कोई आवश्यकता ही नहीं हैं | सत्य की राह छोड़ना बेवकूफी है | स्वयं श्री भगवान कृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में काहा है की “तुम लोग चाहे कितना भी किसी से भी छुपाओ | पर सत्य मुझसे कभी नहीं छूप सकता | तुम चाहे लाख लोगों की आंखों में पट्टी बांधो | पर मेरी आंखों में नहीं बांध सकते | मैं तुम्हारे हर एक गुणों में समाया हूं | मैं बस वही उपस्थित हूं जहां सत्य है” | यह हर एक मनुष्य का कर्तव्य है कि वह सत्य की राह पर चले | अर्थात झूठ का कभी सहारा ना ले सत्य ही भगवान का स्वरुप है |
मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए सदैव झूठ का सहारा लेता है |
“जिंदगी में जो हम चाहते हैं आसान नहीं मिलता | लेकिन जिंदगी का सच है कि हम भी वही चाहते हैं जो आसान नहीं होता” |
शायद कुछ पाने के लिए हम बार-बार झूठ का सहारा लेते हैं | परंतु क्या स्वार्थ में हम ऐसे खो जाते हैं कि हम कि इंसानियत की भूल जाते हैं | कहते हैं अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे हम से मिलाने की साजिश करती है | पर एक चीज को पाने के लिए बार-बार झूठ बोलकर हम अपने ही चरित्र के साथ धोखा कैसे कर सकते हैं | आजकल लोग बिना बात के भी झूठ बोलते हैं| जैसे कि अगर उनका कुछ काम करने का मन नहीं हो तो झूठ | अगर कोई कार्य वक्त पर नहीं हो पाया तो भी झूठ – मैं ट्रैफिक में फस गया हूं | यह सब बहाने ढूंढ लेते हैं | अगर यह लोग अपने कार्य समय पर कर दे तो झूठ का सहारा लेने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी | पर चाहे कुछ भी हो जाए | सत्य कि हम हमेशा ही विजय होती है | इसलिए तो कहते हैं ना कि `सत्यमेव जयते` |
कहीं महापुरुषों ने तो सत्य के लिए खुद को तक बेच दिया था | जैसे कि राजा हरिश्चंद्र जो कि दिन दलितों की मदद करते थे | अपनी जबान से कभी भी नहीं मु करते थे | केवल सत्य ही उनके जीवन में प्रस्थान करता था | और गांधीजी हमेशा `सत्य ही और अहिंसा` का मार्ग अपनाते थे | उन्होंने कभी भी झूठ का सहारा नहीं लिया | वे छाहते के हिंदू – मुस्लिम और सभी जातपा मिलझूल कर रहे | और कोई भी अंतर ना हो | इस स्थिर बुद्धि और ज्ञानी महापुरुषों का जितना वर्णन किया जाए उतना कम है | सत्य और धर्म की स्थापना के लिए कहीं बार स्वयं भगवान ने भी धरती पर जन्म लिया है | अहंकार को मिटाने के लिए के लिए स्वयं भगवान को तक कितनी बार धरती पर आना पडा था |
अहंकार में मनुष्य ऐसे खो जाता है ,जैसे समुद्र में नदियां | सत्य से कमाया धन हर प्रकार से सुखद अनुभव कर आता है | परंतु छल व कपट से कमाया हुआ धन केवल दुख ही दुख देता है| जैसे ही इंसान धनवान हो जाता है | वह मनुष्यता हे भूल जाता है | उसे धन के अलावा और कुछ नजर ही नहीं आता | परंतु उसे यह ज्ञात नहीं होता कि ” धन से पुस्तकें मिलती है, किंतु ज्ञान नहीं | धन से आभूषण मिलता है, किंतु रूप नहीं | धन से सुख मिलता है, किंतु आनंद नहीं | धन से साथी मिलते हैं ,किंतु सच्चे मित्र नहीं | धन से भोजन मिलता है, किंतु भूख नहीं | धन से दवा मिलती है, किंतु स्वास्थ नहीं | धन से एकांत मिलता है, किंतु शांति नहीं | धन से बिस्तर मिलता है ,किंतु नींद नहींं “| पर ऐसा भी क्या धन जोड़ना की हमारा चरित्र तक बिगड़ जाए | अहंकारी मनुष्य कभी सत्य का इस्तेमाल नहीं करता | परंतु उसका के अहंकार ही मिटाता है |
सत्य की परिभाषा कुछ और ही है | उसे हर कोई समझ नहीं पाता | यदि मनुष्य खुद एक सच्चाई का भक्त है | और सच्चाई उसके खून भरी हुई है तो वह जीवन की हर कठिनाइयों का सामना कर सकता है | इस दुनिया में नफरत पैदा हो गई है कि अगर खोजा जाए तो कहीं ना कहीं प्यार भी की मिल सकता है | और वह प्यार हमें सत्य से मिलेगा | सत्य ही मनुष्य को उसकी इच्छा पूरी करके उसके शिखर तक पहुंचाता है | जहां प्रेम, दया ,दान ,मोह, प्रेम, आशा और अदर होता है वही सत्य है|
— रमिला राजपुरोहित