सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 13
सुंदरता मेरी नज़र में
जिसके मन में प्रेम भरा हो, जो करुणा का गहरा सागर,
उसका तन चाहे जैसा हो, वह नर है सुंदरता-आगर.
जिसके दिल में सुंदर भाव हों, जो प्रभु को कण-कण में जाने,
जो सबको ही सुंदर समझे, जग उसको सुंदरतम माने.
सेवा का जिस घर पर पहरा, सत्य जहां पर स्वागत करता,
मुस्कानें जहां द्वार खोलतीं, वह घर ही सुंदरतम लगता.
सत्य बात जो मधुरिम भी हो, जो कर सके किसी का हित भी,
जो जीवन को स्नेहिल कर दे, वह होती सुंदरतम नित ही.
यों तो कोई नहीं कह सकता, झूठ भी जग में सुंदर होता,
काम किसी का जिससे बनता, झूठ भी वह सुंदर ही होता.
गोरे-गोरे कोमल कर को, जग में सुंदर माना जाता,
लेकिन दान व कर्मशील कर. सचमुच सुंदर है कहलाता.
धोखे-रिश्वत से आया धन, धन तो कहला ही सकता है,
पर मेहनत से प्राप्त किया जो, वह धन सुंदर कहलाता है.
खिली हुई मुस्कान सरल-सी, निर्मल दर्पण, निर्मल शिशुमन,
कभी बयार बसंती सुंदर, कभी शीत, आतप या फिर घन.
हरे-भरे वन, फल से लदे तरु, कलरव कूजित मनहर बगिया,
बिजली बनाते बांध सजीले, सुंदर लगती बहती नदिया.
यों तो जीने को जीते हैं, नर पशु जलचर नभचर प्राणी,
लेकिन जो परहित हैं रहते, वे कहलाते सुंदर प्राणी.
-लीला तिवानी
मेरा संक्षिप्त परिचय
मुझे बचपन से ही लेखन का शौक है. मैं राजकीय विद्यालय, दिल्ली से रिटायर्ड वरिष्ठ हिंदी अध्यापिका हूं. कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास आदि लिखती रहती हूं. आजकल ब्लॉगिंग के काम में व्यस्त हूं.
मैं हिंदी-सिंधी-पंजाबी में गीत-कविता-भजन भी लिखती हूं. मेरी सिंधी कविता की एक पुस्तक भारत सरकार द्वारा और दूसरी दिल्ली राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं. कविता की एक पुस्तक ”अहसास जिंदा है” तथा भजनों की अनेक पुस्तकें और ई.पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है. इसके अतिरिक्त अन्य साहित्यिक मंचों से भी जुड़ी हुई हूं. एक शोधपत्र दिल्ली सरकार द्वारा और एक भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत हो चुके हैं.
मेरे ब्लॉग की वेबसाइट है-
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सुंदरता देखने वाले की नजर में रहती है,
वह निःश्ब्द होकर अपनी कहानी खुद कहती है,