असंवैधानिक स्थिति !
राष्ट्रपति पद तत्कालीन राष्ट्रपति के निधन के कारण पहले से रिक्त हैं और उपराष्ट्रपति श्री गिरि कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त है और उन्होंने भी 20 जुलाई 1969 को त्याग-पत्र दे देते हैं । अब इस तिथि को भारत राष्ट्रपतिविहीन व नेतृत्वविहीन हो गया है, फिर इस समय की स्थिति असंवैधानिक हो जाती है ! इस बीच भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) श्री मोहम्मद हिदायतुल्ला कार्यवाहक राष्ट्रपति बनते हैं, जबकि संविधान में कार्यवाहक राष्ट्रपति सिर्फ उपराष्ट्रपति ही बन सकते हैं, जबकि ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि राष्ट्रपति पद की शपथ भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) दिलाते हैं । किंतु मुझे जो सूचना प्राप्त हुई, वह तो पढ़िए- “श्री मोहम्मद हिदायतुल्ला को दिनांक- 20 जुलाई 1969 को श्री न्यायाधीश जे. सी. शाह द्वारा शपथ दिलाई गई । इस सचिवालय के उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, कार्यकारी CJI को कोई शपथ नहीं दिलाई गई । भारत के संविधान के अनुच्छेद- 65 में उल्लिखित के अनुसार, से इतर इस संबंध में अन्य सूचना उपलब्ध नहीं है।” अब यह सोचिए, राष्ट्रपति को शपथ तो CJI दिलाएंगे, जबकि श्री जे सी शाह कोई CJI नहीं हैं और वे भी असंवैधानिक रूप से CJI बनकर शपथ दिला रहे हैं। दिनांक 20 जुलाई 1969 को देश के शीर्ष नेतृत्व स्तर से काफी गलतियाँ हुई हैं, जो असंवैधानिक है, क्योंकि उस तिथि को राष्ट्रपति के कुछ घण्टे के लिए नहीं होने से यह और भी असंवैधानिक स्थिति थी !