बोधकथा

कोजागर पूर्णिमा

कोजागरी या कोजागर या उजागर पूर्णिमा में होती है लक्खी पूजा। मूलत: बंगाल में लक्खी पूजा का प्रचलन है और मनिहारी क्षेत्र भी बंगाली संस्कृति से जुड़ी है ! लक्खी में ‘ख’ बांग्ला टोन है, ‘क्ष’ के लिए !

कहा जाता है, लक्ष्मी-गणेश पूजन से इतर बिल्कुल सामान्य लोगों ने ‘लक्खी’ शब्द प्रचलित कर इसे जनसाधारण के लिए प्रचार-प्रसार किया, जैसे- संस्कृत के ‘रामायण’ को सरल, सहज और सुगम बनाने को लेकर अवधी व खड़ी बोली में ‘रामचरित मानस’ की रचना हुई !

माँ लक्खी को समृद्धि की प्रतीक देवी मानी गयी है ! आज हमारे यहाँ मूर्त्तिकारों व कुम्हारों के यहाँ लक्खी प्रतिमा क्रय करने को लेकर काफी भीड़ है ।

यह पूजा आश्विन पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा में होती है, जिसे कोजागर व कोजागरी या उजागर व उजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं ! सादर नमन ! देवी ‘माँ’ को नमन !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.