क्या लिखूँ?
अब ऐसे माहौल में
क्या लिखें डर लगता है,
अपने आप से
इस समाज से
समाज के लोगों से हर
तरफ अनीति, अत्याचार का
जाल बढ़ रहा है
आज इंसान डर डर कर
जी रहा है,मर रहा है ।
ऐसे में सच कौन लिखेगा?
जब इंसान इंसान नहीं रहा
भेड़िया बनने की कोशिश कर रहा है
तब जहमत कौन उठाएगा ?
अपनी जान की बाजी दाँव पर
कौन लगाएगा?
आज माहौल ऐसा बन रहा है
आदमी अपने आप से डर रहा है
फिर आप बताएं !
क्या लिखूं,कैसे लिखूँ,
किसके लिए लिखूँ?
और लिखूँ भी तो क्या?
अच्छा है न लिखूँ।
सच में आज के दौर में डर ही लगता है . एक तरफ करोना दूसरी तरफ सब कुछ बंद जैसा और तीसरे मीडीया टी आर पी के चक्र में हर एक को पागल कर रहा है . आप की बात सही है, कोई लिखे तो क्या लिखे ! हर इंसान की मानसिक दशा आप ने बता दी .