लालू लीला : सही या अवास्तविक !
आजकल “लालू-लीला” नामक पुस्तक की काफी चर्चा हो रही है, जिसे बिहार के माननीय उप-मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी जी ने लिखा है। एक समय में, पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष श्री लालू प्रसाद और सचिव श्री सुशील कुमार मोदी हुआ करते थे ! जब लालू जी बिहार के पहलीबार मुख्यमंत्री बना, तो यह सरकार ‘भाजपा’ समर्थित था ।
…. फिर लालू जी सत्ता में और सुशील मोदी जी प्रतिपक्ष में, उनके नेता के रूप में…. यह खेल या अध्याय चलते रहा! फिर लालू-लीला यानी परिवारवाद और भ्रष्टाचार साथ-साथ भी चला !
एक समय, लालू जी सम्पूर्ण भारत में ‘शोषितों, वंचितों, पिछड़ों’ के बीच सर्वस्वीकार्य हो गए थे और जनता दल अध्यक्ष के रूप में वहाँ से सीधे प्रधानमंत्री भी बन ही जाते, किन्तु मुलायम सिंह जी के प्रधानमंत्री बनने की बात आने लगी ! अप्रत्यक्ष रूप से तब लालू जी के श्रीमुख से यह बात आने लगी कि अगर ‘मुलायम’ प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट हुआ, तो ‘लालू’ जहर खा लेगा! पता नहीं, इस बात को लेकर कितनी सच्चाई है, यह उस समय की न्यूज़पेपर-क्लिपिंग्स से ही देखी जा सकती है !
किन्तु यह तय है, लालू-संसार में ‘सुमो’ (सुशील मोदी) ने काफी नजदीकी व करीने से ‘लालू’ का अध्ययन किया है, चाहे वो साथ रहकर हो या अलग होकर भी!
श्री लालू प्रसाद की जेल-यात्रा किसी आंदोलन की परिणति नहीं है, बल्कि येन -केन- प्रकारेण ‘आय से अधिक संपत्ति’ इकट्ठे करने के तत्वश: है । माननीय कोर्ट के प्रसंगश: इस हेतु सज़ायाफ़्ता भी है वह ! सुमो ने ‘लालू-लीला’ नामक किताब इसी बुनियाद पर लिखा है, जिसे महान दल-बदलू अलगाववादी नेता श्री शिवानन्द तिवारी ने इस प्रक्रम को सुशील की साजिश कहा है ! किन्तु जिस तथ्य को संसार देख रहा है, उसे आप भी देखिए और इस इलेक्शन की घड़ी में मनन कीजिये कि कौन गलत है और कौन सलत है?
आदरणीय सर🙏
अमेजन पर उपलब्ध था ! आज search किया, पुस्तक stock के संबंध में पता नहीं चल पा रहा है ! उपलब्ध होते ही आपको सूचित करूँगा !
आपको सपरिवार शक्ति की देवी ‘माँ’ की अर्चना के प्रसंगश: नमन और शुभकामनाएं🙏
यह किताब कहाँ मिलेगी? यदि संभव हो तो एक प्रति भेजिए। मूल्य सूचित कर दें तो आपके एकाउंट में भेज दूँगा। एकाउंट डिटेल दे देना।