निजी रेल !
अब यह जरूरी है, भारतीय रेलवे का निजीकरण हो जाय, अन्यथा कटिहार-तेजनारायणपुर बीच बिना टिकट यात्री व TTE साथ-साथ ताश खेलते रहेंगे !
रेलवे भी एक संगठन है, उन्हें भी लाभ चाहिए और राजस्व उगाही के लिए एकाधिपत्य जरूरी है ! आपकी जानकारी में बता दूं ! मेट्रो के टिकट को ‘टोकन’ कहते हैं ! दूसरी बात भारत में कितने मेट्रो संचालित हैं, सिर्फ़ उन्हीं के नाम बता दो ?
अगर मुट्ठीभर है, तो कल्पना करो कि जिस माँ-बाप के सीमित बच्चे हैं, वे सुविधायुक्त होते हैं या अधिक बच्चेवाले परिवार ! उस पास से दरवाजे से बाहर आते हो क्या ?
रही बात मैं गरीब आदमी हूँ, इस बैंक में मेरा खाता नहीं है, लेकिन ईमानदार हूँ, तुम्हारे तरह मालदार नहीं ! क्या होगा Rs 100 देकर यात्रा करेंगे, क्यों ? करप्शन तो मिटेगा ! अन्यथा, बैलगाड़ी युग में आएंगे और क्या ? चलो, आगे की आगे सुधि लेते हैं, भाई !