तुम दीवानो
सही गलत अब तो पहचानो,
किसको कब अपना तुम मानो।
जीवन के इस आसमान में ,
अपनी ख़ुशी पतंग तुम तानो।
हार हार के थके नहीं क्या ,
चलो सफलता की तुम ठानो।
मीत तुम्हारे होंगे अनगिन ,
कौन शत्रु है यह तुम जानो।
गलत सही बातों को भाई ,
सच की छलनी में तुम छानो।
जग को शक नजरों से देखो ,
जब भी देखो तुम दीवानो।
–महेंद्र कुमार वर्मा