प्रकृति से खिलवाड़ कर…
प्रकृति से खिलवाड़ कर
पहाड़ों जंगलों को काट कर
विकास का दीप जलाया है
..पर यह हमने क्या पाया है।
ढांचागत विकास कर
फैक्ट्रियों- मशीनों का निर्माण कर
धरती के तापमान को बढ़ाया है
..पर यह हमने क्या पाया है।
गरम हो रही है धरती
नदियों ने बदली है धारा
यह खतरनाक रसायनिक कचरा
और बढ़ता हुआ धरती का पारा
मीलों फैली बंजर भूमि
सूखती नदियां घटते जंगल
लुप्त हो रहे हैं पशु – प्राणी
जो करते थे जंगल में मंगल।
अजब गजब विकास कर
वैश्विक आपदाओं को बढ़ाया है
यही हमने तो पाया है
हां! यही हमने तो पाया है।।
— अंजु गुप्ता