बाल कविता – समोसे
गरम समोसे मुसकाते हैं ,
मुँह में पानी वो लाते हैं।
तीन नुकीले कोनों वाले ,
सबके मन को ललचाते हैं।
स्वाद चरपरा उसका होता ,
चटनी साथ बहुत भाते हैं।
चाय समोसे जब संग आते ,
महफ़िल में रंग जमाते हैं।
सुबह जलेबी और समोसे,
जन जन पे ख़ुशी लुटाते हैं।
— महेंद्र कुमार वर्मा