इस पृथ्वी और मानवप्रजाति के उद्भव के सबूत जुटाने एक अंतरिक्ष यान एक छुद्रग्रह पर पहुँचा !
प्राचीनकाल से ही मानव को अपने सहित इस धरती और इस धरती पर अन्य सभी जीवों की उत्पत्ति कैसे हुई ? इसकी उत्कट उत्सुकता व जिज्ञासा रही है। इसको लेकर प्राचीनकाल से ही हमारे पूर्वज अपनी नंगी आँखों और अपने साधारण उपकरणों की मदद से ही इस पृथ्वी से दूर स्थित ग्रहों, उपग्रहों व तारों को भी उत्सुकता भरी निगाहों से देखकर यह अनुमान लगाते रहे हैं कि हमारे तरह के जीव और सभ्यताएं संभवतः सूदूर अंतरिक्ष स्थित ग्रहों, उपग्रहों व तारों में भी हो सकती हैं, परन्तु आज उन्नतिशील वैज्ञानिक उपकरणों यथा आजकल की तरह रेडियो टेलिस्कोपिक दूरबीनों व सूदूर अंतरिक्ष में जाने वाले अंतरिक्ष यानों के न रहने से वे केवल कल्पना आधारित बातों और कल्पनाओं को करने को बाध्य थे, परन्तु अब आधुनिक युग में मानव अत्यधिक परिष्कृत वैज्ञानिक उपकरणों की मदद से अब करोड़ो-अरबों प्रकाश वर्ष दूर स्थित ग्रहों, तारों और निहारिकाओं का अपने उच्च शक्तिशाली दूरबीनों की मदद से अध्ययन कर सकता है और अपने ताकतवर अंतरिक्ष यानों को भेजकर करोड़ों किलोमीटर दूर स्थित ग्रहों, उपग्रहों और छुद्र ग्रहों का बखूबी अध्ययन कर सकता है।
इसी तरह की एक सफलता अभी पिछले 20-10-2020 को अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को मिली जब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा 8 सितम्बर 2016 को प्रक्षेपित ओसाइरस-रेक्स नामक अंतरिक्ष यान अपने 4 वर्ष 1 माह 12 दिन की यात्रा करने के बाद इस धरती से 29 करोड़ किलोमीटर दूर सूदूर अंतरिक्ष में एक अत्यंत छोटे क्षुद्र ग्रह जो 4.5 अरब साल पुराना है और मात्र लगभग आधा किलोमीटर ( 510 मीटर ) बड़ा है, जिसका नाम बेन्नू है, तक पहुँचा है, इस लम्बी दूरी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वहाँ तक प्रकाश की गति से रेडियो सिग्नल जाने में भी पूरे 16 मिनट लग जाते हैं ! वैसे इससे पूर्व जापान ने 2005 में अपना हायाबसा परीक्षण अंतरिक्ष यान को भेजा था, जो वहां की मिट्टी को लेकर 2010 में सकुशल धरती पर लौट आया था, इस प्रकार किसी छुद्र ग्रह से उसके मिट्टी के नमूने लानेवाला अमेरिका अब दूसरा देश बन गया है। नासा द्वारा प्रक्षेपित ओसाइरस-रेक्स नामक अंतरिक्ष यान बेन्नू छुद्रग्रह के मिट्टी के नमूने के साथ 24 सितम्बर 2023 को इस धरती पर लौटेगा। हमारी आकाशगंगा अलग तरह के रहस्यों से भरी पड़ी है, इंसान इसके रहस्य को जानने में जुटा हुआ है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार इस छुद्रग्रह पर विविध प्रकार के खनिज पदार्थ हो सकते हैं, ये सारी कोशिशें और अरबों डॉलर का खर्च इसलिए किया जा रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस धरती पर जीवन की शुरूआत कैसे हुई ?पिछले 2 सालों से यह उपग्रह उस छुद्रग्रह का इसलिए चक्कर लगा रहा था ताकि वह उस पर सुरक्षित उतरने के लिए इस छुद्रग्रह की गति का सूक्ष्मता से अध्ययन कर सके, अंततः एक बड़ी चट्टान के बीच केवल 8 मीटर की एक समतल भूमि से मिट्टी का नमूना लेने में सफल हो गया। चूँकि यह छुद्रग्रह 510 मीटर लम्बा एक बहुत ही छोटे आकार का है, इसलिए इसकी गुरूत्वाकर्षणीय बल भी बहुत कम है, इसलिए वहाँ गये अंतरिक्ष यान को अपने 3.4 मीटर लम्बे रोबोटिक हाथ से उसकी 60 ग्राम मिट्टी के नमूने को लेना पड़ा।
यह छुद्रग्रह अन्य छुद्रग्रहों से इसलिए भिन्न है, क्योंकि यह दो छुद्रग्रहों के टकराने से बना है, यह इसकी यह आकृति धरती स्थित शक्तिशाली दूरबीनों से भी स्पष्ट नजर आ जाती है। इस छुद्रग्रह की चट्टानों में वैज्ञानिकों को ओसाइरस में लगी शक्तिशाली दूरबीनों से कार्बोनेट और अन्य कार्बनिक पदार्थों की व्यापक मौजूदगी का पता लगा है, जो जीवन के लिए ‘आधार तत्व ‘ माने जाते हैं। ओसाइरस शब्द मिश्र के एक प्राचीन देवता का नाम है, जिसे मौत और अपराधों की दुनिया का देवता माना जाता है, इसका अर्थ शक्तिशाली भी होता है। यह शब्द मिश्र के ‘उसिर ‘ शब्द से लैटिन भाषा में आया है। वैज्ञानिकों को छुद्रग्रहों व धूमकेतुओं से पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में बहुत सी जानकारी मिलने की उम्मीद है, क्योंकि छुद्रग्रहों और धूमकेतुओं का निर्माण भी पृथ्वी सहित सौरमण्डल के अन्य ग्रहों, उपग्रहों के साथ हुआ था, लेकिन उन पर स्थित पदार्थों में अरबों सालों से कोई परिवर्तन व बदलाव ही नहीं हुआ है, जबकि पृथ्वी और दूसरे अन्य उपग्रहों व ग्रहों के पदार्थों में रासायनिक व भौतिक कारणों से बहुत परिवर्तन हो गया है। छुद्रग्रहों और धूमकेतुओं पर मिलनेवाले पदार्थों जैसे पदार्थ इस पृथ्वी और अन्य ग्रहों पर मिल ही नहीं सकते। इसलिए अब ओसाइरस-रेक्स के 24 सितम्बर 2023 तक लौटने का इंंतजार करिए, तब सम्भवतया उसके द्वारा छुद्रग्रह से लाए गए मिट्टी के नमूने से मनुष्य और इस पृथ्वी के उद्भव की कोई नई कहानी उद्घाटित व अविष्कृत हो जाय।
— निर्मल कुमार शर्मा