कह नहीं पाउँगा
बहुत खूबसूरत है वो,कह नहीं पाउँगा।
जिंदगी की जरूरत है वो,कह नही पाउँगा।
मैंनें अपने मन मंदिर में उसे सजा रखा है,
दुआ है, इबादत है वो,कह नही पाउँगा।
उसकी कीमत आँक सँकू,मैं ऐसा जौहरी नही,
बडी नायाब दौलत है वो,कह नही पाउँगा।
दिल पे दस्तक दी है, बाँसुरी की सदा बनके,
के ईश्क की इबारत है वो,कह नही पाउँगा।
मेरी रूह में शामिल है, फूल में खुशबू जैसी,
खुदा की ही इनायत है वो,कह नही पाउँगा।
— ओमप्रकाश बिन्जवे”राजसागर”