गीत/नवगीत

मैं दीन – हीन लघु दीप एक

मैं दीन – हीन लघु दीप एक,
थोड़ा – सा स्नेह प्रदान करो।

रख दो गरीब की कुटिया में,
उनकी रजनी भी जाग उठे।
आँगन में कुछ खुशहाली हो,
उनके उर सरगम राग उठे।।
जुगनू भी रूठें हों जिनसे,
उनके मन में कुछ आस भरो।
मैं दीन – हीन ……………।।

बाती मेरी अधजली सही,
फिर भी लड़ने में सक्षम हूँ।
इतिहास पुरातन है मेरा,
मैं नहीं किसी से भी कम हूँ।।
तूफाँ को पुन: निमन्त्रण है,
आओ टकराकर डूब मरो।
मैं दीन – हीन…………….।।

खाली गरीब की थाली में,
कुछ आशा कुछ विश्वास जगे।
विपदा उनके घर में बैठी,
कह दो अब उनको नहीं ठगे।।
जीवन के बुझे अमावस में,
होठों पर नव मुस्कान धरो।
मैं दीन – हीन …………….।।

डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन