कविता

रावण

वीर पराक्रमी शूरवीर
महाज्ञानी, महा पंडित,
अहंकारी शिवभक्त रावण
मतिभ्रम का शिकार हुआ,
सीताजी का हरण किया
रामजी के हाथों मरकर
दुनियाँ का तिरस्कार सहकर
अपने कुल का नाश किया
मोक्ष को प्राप्त हुआ,
रावण सा विद्वान न हुआ।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921