विविध

एक दुर्बल पक्ष

उच्च शिक्षित महिलाएँ भी जब पाखंडी, आडम्बरी, ढोंगी, खुदगर्ज़ी, लालची और पति व ससुराल से दब्बू हो; तो उस ‘बेटी’ को पढ़ाकर क्या फायदा ? जैसे मैंने लिखा, आपने भी लिखा ! मैं तो हमेशा से गधा हूँ, भाई !

लोकसभा चुनाव-2019 के समय श्री नरेन्द्र मोदी को भी श्री अखिलेश यादव ने गधा कहा था । तब श्री मोदी ने श्री यादव को जवाब दिया था, मैं उसे दुहरा रहा हूँ- गधा कर्मठता के प्रतीक हैं, निकम्मेपन व कामचोर का नहीं ! मैं गधा हूँ, इससे साबित होता है कि आप नि…. या का…. जरूर हैं।
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ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जो सफल और संपन्न होकर भी सिम्पलीसिटी में जीते हैं । यह तो बड़प्पन है । ….किन्तु  कम्युनिस्ट न सम्पन्न हुआ चाहते हैं, न सफल ! वह सिम्पलीसिटी में ही रहना चाहता है, जो कि गरीबी के फलस्वरूप है !

अगर क्षमता है, तो हम गरीब क्यों रहें और गरीबी में क्यों जीये? कहने का मकसद है, सम्पन्नता पाकर अगर हम सिम्पलीसिटी में रहे, तो यह हमारी महानता है, अन्यथा सम्पन्नता का डींग हाँकना हमारे अभिमान का सूचक है, जो कालांतर में दुर्बल पक्ष के रूप में अभिहित है।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.