खिसियानी बिल्ली कुछ भी करेंगे !
यशवंत सिन्हा! शत्रुघ्न सिन्हा! अरुण शौरी! खिसियानी बिल्ली, सिंका तोड़े ! ऑनलाइन अखबार ‘मेकिंग इंडिया’ में यह विश्लेषण किया है- ‘राफेल’ सौदेबाजी पर सरकार के विरुद्ध एक्टिविस्ट वकील प्रशांत भूषण द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका पर 26.10.2018 के फैसले ने अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा की तिकड़ी के मुंह पर भी कालिख पोती है। यह तिकड़ी विगत के वर्षों में एनडीटीवी, इंडिया टुडे सरीखे न्यूज चैनलों पर सुबह -दोपहर- शाम बैठकर राफेल और आलोक वर्मा को लेकर राहुल गांधी द्वारा अलापे जा रहे फूहड़, अभद्र, अश्लील आरोपों को राहुल गांधी के घरेलू नौकर की तरह उछल-कूद मचा रहे थे और ऐसा करते समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ इस तिकड़ी की तिलमिलाहट तो देखने लायक होती थी।ध्यातव्य है, यह तिकड़ी अटल जी की सरकार में कैबिनेट मंत्री की कुर्सी पर काबिज़ रही थी। लेकिन अटल जी की मर्जी से नहीं बल्कि जग कुख्यात हो चुके ‘फूफा’ की ज़हरीली ज़िद के कारण। अपने उस सरगना के नेतृत्व में अपनी करतूतों से इस तिकड़ी ने अटल की की नाक में दम किस तरह किया था, यह सच उस दौर की राजनीति और मीडिया के गलियारों में खुलकर गूंजता था। 2004 में अटल जी की सत्ता से विदाई में इस तिकड़ी की करतूतों की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। दरअसल यह तिकड़ी अटल जी की सरकार और भाजपा की आस्तीन में पल रहे सांपों के समान ही थी ?