नमन मनन
व्ही. शांताराम की पुण्यतिथि पर सादर नमन…. “ए मालिक तेरे बंदे हम….. बड़ा कमजोर है आदमी, पर तू है बड़ा कृपालु…. जब जुल्मों का हो सामना, तब तू ही हमें थामना…… नहीं हो बदले का भावना ….”
यह गीत ‘श्री बालकवि बैरागी’ की रचना है, किन्तु यह गीत महान निर्देशक व्ही. शांताराम निर्देशित किसी फिल्म से ली गई है ।
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28 अक्टूबर को महान शांताराम जी की पुण्यतिथि है । भावभीनी श्रद्धांजलि ! ध्यातव्य है, आदरणीय व्ही. शांताराम के निकट सम्बन्धी श्री सुनील शांताराम के पत्र मुझे प्राप्त है, साथ ही उल्लिखित गीत के गीतकार व सांसद रहे ‘बालकवि बैरागी’ के पत्र भी मुझे प्राप्त है।
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आज शाम की चाय के साथ ही जासूसी उपन्यासकार श्री सुरेंद्र मोहन पाठक के 300 वीं व विमल सीरीज की 43वीं हिंदी उपन्यास “क़हर” पढ़कर खत्म की, इस उपन्यास का दूसरा भाग यानी 301 वीं उपन्यास “जा के बैरी सन्मुख जीवै” कल से पढ़ना शुरू करूँगा ! दरअसल विकास जी आप कंजूस हैं और पढ़ने का जुनून है, तो खोज कर पढ़ डालिए। मैंने तो सभी के सभी पार्ट पढ़े हैं !