21 वीं सदी के बेबाक लेखक
जिनसे कई बार मुलाकात हुई है, तो जिनके कई ‘पत्र’ मेरे पास है और जिनकी सम्पादकत्व में ‘हंस’ में कई बार छपा हूँ मैं; उस 21वीं सदी के कबीर व नई कहानी के पिता “राजेन्द्र यादव” की पुण्यतिथि (28 अक्टूबर) पर सादर नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि !
●●साहित्यकार राजेन्द्र यादव का रचना-संसार:-
■कहानी-संग्रह :-
देवताओं की मूर्तियाँ: 1951, खेल-खिलौनेः 1953, जहाँ लक्ष्मी कैद हैः 1957, अभिमन्यु की आत्महत्याः 1959, छोटे-छोटे ताजमहलः 1961, किनारे से किनारे तकः 1962, टूटनाः 1966, चौखटे तोड़ते त्रिकोणः 1987, ये जो आतिश गालिब (प्रेम कहानियाँ): 2008, यहाँ तकः पड़ाव-1, पड़ाव-2 (1989), वहाँ तक पहुँचने की दौड़, हासिल.
■उपन्यास :-
सारा आकाशः 1955 (‘प्रेत बोलते हैं’ के नाम से 1951 में), उखड़े हुए लोगः 1956, कुलटाः 1958, शह और मातः 1959, अनदेखे अनजान पुलः 1963, एक इंच मुस्कान (मन्नू भंडारी के साथ) 1963, मन्त्रविद्धा: 1967, एक था शैलेन्द्र: 2007.
■कविता-संग्रह :-
आवाज तेरी हैः 1960,
■नाटक :-
चैखव के तीन नाटक (सीगल, तीन बहनें, चेरी का बगीचा)
■अनुवाद :-
उपन्यास : टक्कर (चैखव), हमारे युग का एक नायक (लर्मन्तोव) प्रथम-प्रेम (तुर्गनेव), वसन्त-प्लावन (तुर्गनेव), एक मछुआ : एक मोती (स्टाइनबैक), अजनबी (कामू)- ये सारे उपन्यास ‘कथा शिखर’ के नाम से दो खण्डों में- 1994, नरक ले जाने वाली लिफ्ट: 2002, स्वस्थ आदमी के बीमार विचार: 2012
■समीक्षा-निबन्ध :-
कहानीः स्वरूप और संवेदनाः 1968, प्रेमचन्द की विरासतः 1978, अठारह उपन्यासः 1981 औरों के बहानेः 1981, काँटे की बात (बारह खण्ड)1994, कहानी अनुभव और अभिव्यक्तिः 1996, उपन्यासः स्वरूप और संवेदनाः 1998, आदमी की निगाह में औरतः 2001, वे देवता नहीं हैं: 2001, मुड़-मुड़के देखता हूँ: 2002, अब वे वहाँ नहीं रहते: 2007, मेरे साक्षात्कारः 1994, काश, मैं राष्ट्रद्रोही होता : 2008, जवाब दो विक्रमादित्य (साक्षात्कार): 2007.
■सम्पादन :-
एक दुनिया समानान्तरः 1967,
प्रेमचन्द द्वारा स्थापित कथा-मासिक ‘हंस’ का अगस्त 1986 से,
कथा-दशकः हिन्दी कहानियाँ (1981 -90),
आत्मतर्पणः 1994, अभी दिल्ली दूर हैः 1995, काली सुर्खियाँ (अश्वेत कहानी-संग्रह): 1995, कथा यात्रा: 1967, अतीत होती सदी और त्रासदी का भविष्य: 2000 औरत : उत्तरकथा 2001, देहरी भई बिदेस, कथा जगत की बाग़ी मुस्लिम औरतें, हंस के शुरुआती चार साल 2008 (कहानियाँ), वह सुबह कभी तो आयेगी (साम्प्रदायिकता पर लेख): 2008.