असाक्षर से आगे….
म’नरेगा’ के मानस पिता और गणित के प्रोफेसर डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह, जो Ph D हैं, वे भी नवमी फेल को RJD (राजद) का भविष्य बताते हैं !
सिंह साहब आप इतने चापलूस न हो जाएं कि RJD के शेष कार्यकर्त्ता नवमी फेल के बाद पढ़ना ही छोड़ दे और उच्च शिक्षा (Ph D) पाने को भूल ही न करें, क्यों?
न्यूटन, आइंस्टीन, टैगोर क्या शिक्षित नहीं थे? जिनके माँ-बाप CM रहे हैं और जिनकी बेटी MBBS रही हैं, तो बेटों को नहीं पढ़ाना क्या बताता है ? अगर ऐसी बात है, अनुभव ही सबकुछ है तो यूनिवर्सिटी व विद्यालय क्यों है ? क्यों आप पढ़ते हैं ? पढ़ाई उन चीजों की भी होती है, जो अनुभव के भी पार होते हैं !
आप जानते नहीं हैं, तो जान लें कि E = mc^2 , जिनपर mention अब तक चल रही है ! आप बर्नार्ड शॉ को जान रहे हैं, इब्बार रब्बी को जान रहे हैं, ब्लिट्ज को जान रहे हैं ! इन्हें जानने के लिए इन्हें पढ़ना पड़ेगा! अनुभव सीमा में बंधे होते हैं, पढ़ाई असीमित है ! हम पोखर के मेढक कदापि न बने ! आप मूल मुद्दे पर आइये !
‘अनपढ़’ का पक्ष मत लीजिए । बेगानी शादी में क्यों दीवाना बनना चाहते हैं ! इस उम्र को पढ़ाई में लगाइए । अगर पढ़ना सम्भव नहीं हो, तो आपकी जो इच्छा हो कर ही डालिये, क्यों ? आप अनुभवी जो ठहरे ! कुछ व्यक्ति अप्रासंगिक बातें ही करते हैं, प्रेम जी !