कबीर की तरह सिर्फ़ ‘अनुभव’ नहीं; डॉ. जिचकर की तरह ‘पढ़ना’ भी जरूरी है ! पढ़ाई उन चीजों की भी होती है, जो अनुभव के भी पार होते हैं ! आप जानते नहीं हैं, तो जान लें कि E = mc^2 , जिनपर mention और research अब तक चल रही है ! जिसे आइंस्टीन ने खोजकर भी पार न पा सका!
आप बर्नार्ड शॉ को जान रहे हैं, इब्बार रब्बी को जान रहे हैं, ब्लिट्ज को जान रहे हैं, पाब्लो नेरुदा को जान रहे हैं, पेरियार को जान रहे हैं ? अगर नहीं, तो इन्हें जानने के लिए पढ़ना पड़ेगा!
अध्ययन किया जाने के कोई विकल्प नहीं हैं ! जबकि अनुभव सीमा में बंधे होते हैं, पढ़ाई असीमित है ! हम पोखर के मेढ़क कदापि न बने ! हम 21वीं सदी में जब तक अध्ययनार्थी नहीं बनेंगे, तबतक एक तर्कवादी बन ही नहीं सकते!