कोई विधायक या सांसद इस्तीफ़े दिए बगैर ‘सांसद’ या ‘विधायक’ हेतु चुनाव लड़ सकते हैं ! इस्तीफ़ा सिर्फ शुचिता लिए है ! जाति-पाँति की बातकर बीजेपी का भला नहीं होनेवाला! विकास की बात करनेवालों को ऐसा स्वप्न में भी नहीं सोचना चाहिए ।
हाँ, 70+ उम्र के बीजेपी की मीमांसा में ‘निखिल’ सर के लिए बाधक है ! ‘अग्रवाल’ सर के कार्य भी प्रभावी रहे हैं, तो सीताराम केसरी सर को छोड़कर कटिहार की ओर से निखिल सर पहले ‘केंद्रीय मंत्री’ रहे हैं ! भले ही राज्यमंत्री रहे हों ! …. और जब विवाद की संभावना खूब बढ़ जाये, निर्विवाद रूप से तीसरे की तरफ भी रुख करने चाहिए !