एक जनजाति, दो धर्म में ! अन्य राज्यों की बात जो रहे, किन्तु बिहार में कुछ आदिवासी जनजाति ने ‘ईसाई’ धर्म अपना लिए हैं, किन्तु विद्यालय अथवा अन्य कार्यालयों में आरक्षण की बात आती है और किसी तरह के स्कॉलरशिप की बात आती है, तो ये बन्धु हिन्दू धर्म के अंतर्गत ‘अनुसूचित जनजाति’ बन जाते हैं।
इसी आरक्षण का फायदा उठाकर इलेक्शन में भी खड़ा हो जाते हैं !
लोग फायदे लेने के लिए एकसाथ दो धर्मों में रह रहे हैं, इस पर रोक लगनी चाहिए या नहीं?
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मासूम से दिखने वाले शिवाजी में इतना आक्रोश भरा था कि प्रतापगढ़ के दुर्ग से निकलते समय जिसतरह से गले मिल और धोखे में अफ़ज़ल खान ने उन्हें कटार मारी तब शिवाजी के मन में एक साथ अफ़ज़ल खान के कुकारनामे उभर आए…. ‘जब उसने माता तुलजा भवानी का मंदिर भ्रष्ट किया, खड़ी फसलें जला दी, नगर श्मशान बना दिये, हिन्दू स्त्रियों का सतीत्व लूटा, शिशुओं को भालों से बिंध दिया और रंभाती गायों को काटकर नदी में फेंक दिया था….’
शिवाजी प्रतिवार कर अफ़ज़ल की अंतड़ियाँ निकाल डाले और सिर धड़ से अलग कर डाले । इस धोखे से शिवाजी इतने आक्रोशित थे कि मृतक व अलग सिर को भी लात मारे, फिर अंततः ‘हर-हर महादेव’ के उद्घोष के साथ माँ जीजाबाई को रक्तरंजित तलवार सौंप दिए ! सत्यश: मेकिंग इंडिया ऑनलाइन अखबार ने इसे बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है !