ग़ज़ल
काम अपने कुछ बताते जाइए।
दोस्तों को आज़माते जाइए।
राह के खतरे मिटाते जाइए।
राह से पत्थर हटाते जाइए।
गीत ग़ज़लें गुनगुनाते जाइए।
मौसिक़ी से भी सजाते जाइए।
ज़िन्दगी के ग़म भुलाते जाइए।
जश्न खुशियों का मनाते जाइए।
टीम को अपनी जिताना है अगर,
चौके पर चौका लगाते जाइए।
दीद की दिल में तमन्ना है बहुत,
आज चिलमन को उठाते जाइए।
— हमीद कानपुरी