गज़ल
मुझको ए हमदम मेरे तुमसे है बस इतना गिला
जब मिला मुझसे तू थोड़ा फासला रख के मिला
================================
चाहने वाले तुम्हारे हैं बहुत पर सोच लो तुम
इतनी शिद्दत से तुम्हें और कौन चाहेगा भला
================================
जाम क्या है ज़हर भी पी लूँगा हंसते हंसते मैं
शर्त इतनी सी है साकी अपने हाथों से पिला
================================
तुमको देखा तो यकीं आया मुझे इस बात का
तुम हो मेरी आजतक की सब दुआओं का सिला
================================
महसूस होते हो मुझे न होके भी तुम हर जगह
कब तलक चलता रहेगा ये अजब सा सिलसिला
================================
आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।