हास्य व्यंग्य

वाह रे पुरस्कार

वाह रे ….पुरस्कार !!!

पुरस्कार लौटने से ऐसा लगता है, उन्हें पुरस्कार अपने कृति के लिए नहीं ,बल्कि “सेटिंग” कर प्राप्त किया है! किसी की थोड़ी उपलब्धि पर सबसे ज्यादा “भारतरत्न” या “पद्मश्री” कांग्रेस ने दिया है।

सन 1984 के सिख दंगे पर लेखक या किसी को वर्ष 1985 में कोई पुरस्कार लेना ही नहीं चाहिए था । क्या किसी एक ‘पार्टी’ को ही बार-बार टारगेट बनाये जाना चाहिए ?

यहाँ ’20 करोड़’ से अधिक आबादी वाले भी “माइनॉरिटी” कहलाते है !
किसी को  भी अपने अपने धर्म की रक्षा करने का अधिकार है । हमारी संस्कृति में “पेड़पौधे,पशु और धरती” में से ‘माँ’ की छवि है।

एक ही समाज में हत्या कर ‘खान – पान’  किसी भी तरह आदर्श स्थिति नहीं है , लॉजिक या बहस  सहिष्णु होते है । हमारे सम्मानित “प्रधानमंत्री” में गजब की एनर्जी और बेजोड़ का साहस है…. “T -BOY” को मेरा सलाम !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.