कविता

हिंदुस्तान मजे मे है

हिंदुस्तान मजे मे है
क्या हुआ यदि देश मे अस्थिरता है ,
है क्या हुआ यदि देश मे अराजकता है,
हिंदुस्तान मजे मे है
क्या हुआ यदि देश मे राजनैतिक दो मुंहापन है

क्या हुआ यदि देश में ,
बिना विचारचार की सरकार है ,
क्या हुआ यदि स्कैंडल्स की भरमार है ,
क्या हुआ यदि सिर्फ भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है ,
फिर भी हिंदुस्तान मजे मे है

क्या हुआ यदि खून की होली है ,
चीत्कार की दीवाली है
हजारों करोड की देनदारी है ,
नक्सलियों का घनघोर तांडव है ,
देश फिर गुलामी की कगार पर है ,
हिंदुस्तान फिर भी मजे मे है ,

क्या हुआ देश मे पैदा होता हर बच्चा ,
सर से पैर तक क़र्ज़दार है ,.
फिर हिन्दुस्तान मजे मै है , ,

क्या हुआ देश मे कॅरोना का भयानक प्रहार है,
मौत की दर्दनाक ललकार है,
भूखे नौनिहाल, कर्मकार,
हजारों मौत के शिकार है,
लाचार बदहाल सरकार है,
हाँ,फिर भी हिन्दुस्तान मजे मे है,

— संजीव ठाकुर

संजीव ठाकुर

चोबे कालोनी रायपुर छ.ग. M- 9009415415, wtsp,6266419992