कविता

आत्म अवलोकन

एकांत की परछाई, अब साथ साथ नही चलती, थमी है दुबकी,कोने में,शांत, कोई छाया,प्रति छाया नही, मंदिर की घंटियों, शमशान में शव में अग्निदग्ध, सूखी बल्लियों से ध्वनित चटखने की आवाज में, एकात्मक समानता, वैराज्ञ, आत्म मंथन, व्योम में विचरता मानव, लोट आया है नीड़ में, विचारों की चादर ओढे, दुबका है, दोनों हाथों से ढाल […]

कविता

आ जाओ मित्र

आ जाओ मित्र अब गलबहियां डालने वाला कोई नहीं पुरानी यादें बहुत सताती रुलाती है, सब कुछ है हमारे पास, पर जबरिया नाश्ता छीनकर खाने वाला कोई नहीं, दिल की बातें सुनने वाला कोई नहीं, अब उम्र नहीं,वय नहीं, मित्र नहीं, बालसखा नहीं, कहां गए वह लोग जो गाली देकर बुलाया करते थे, कहां गए वो लोग […]

कहानी

कहानी – लड़का होने का मतलब ?

उसे इस बात का पूर्वानुमान था कि उसने जिस साहस ,हिम्मत और करेज के साथ उस आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाकर देश की मिटटी की रक्षा के जीवन में निडर और अपनी जान की परवाह किये बगैर देश के दुश्मनों का सामना किया था, उसके परिणाम स्वरुप उसे राज्य शासन ने पुलिस वीरता सम्मान तो […]

कविता

कविता

विपन्न कुम्हारों के नन्हे बच्चो के कोमल हाथो से रचित, माँ धरती की सुधी सुगंध से लिप्त, माटी के दीपो से, प्रदीप्त तेजस्वी ज्योती से, भव संसार के मलीन,कुत्सिक, अंधकार को विलुप्त कर, अंतर्मन के संताप, तमस, और निराशा को खिलखिलाती,जगमगाती, उज्जवल कल की आस जगाती, दीपोत्सव की प्रबल रोशनी से दूर करे, भारत माता […]

कविता

कविता

आशाओं के दीप जलाए रखना, यूं ही हाथों में हाथ मिलाए रखना| कौन कहता है मंसूबे होते नहीं है पूरे, हौसलों की शम्मा जलाए रखना| म्हणत से ही लोगों में ही मंसूबे हैं, मंसूबे हैं तो जिंदगानी है| जिंदगानी है तो मित्रों, जीवन एक लंबी कहानी है| जीवन दीप जलाए रखना, दिलों से दिल को […]

कविता

संजीव-नी

धन बल कुछ काम न आएगा, न रखोगे संयम सब चला जायेगा, ऋषि मुनि बड़े बूढ़े कह गए, आत्मबल,विवेक से ही चलेगा, करोना से दूर दूर रहो इतना, बुराइयों से नफरत करते जितना, ज्ञानियों ने कहा योग,तप उपवास, ये मानव अश्त्र है अति खास, आगे कई दिन जीवन के खास, घर मे ही रहो,घूमो न […]

कविता

हिंदुस्तान मजे मे है

हिंदुस्तान मजे मे है क्या हुआ यदि देश मे अस्थिरता है , है क्या हुआ यदि देश मे अराजकता है, हिंदुस्तान मजे मे है क्या हुआ यदि देश मे राजनैतिक दो मुंहापन है क्या हुआ यदि देश में , बिना विचारचार की सरकार है , क्या हुआ यदि स्कैंडल्स की भरमार है , क्या हुआ […]

गीतिका/ग़ज़ल

जो हम दीपक जलाना सीख लेते हैं

हवा में जो हम दीपक जलाना सीख लेते हैं । ग़मों की भीड़ में मुस्कुराना सीख लेते हैं ।। उन्हें आता नहीं दुश्मनों को भी बुरा कहना। वो सलीके से गीत गाना सीख लेते हैं।। कैसी जात, मजहब और कैसी सरहद। प्यार से हर पर्दे हटाना सीख लेते हैं।। पौधे नाजुक हैं, तरीके से लगाना […]

गीतिका/ग़ज़ल

हर नज़र हर निगाह में नमी है

हर नज़र हर निगाह में नमी है, स्नेह की बेहद अपनों में कमी है। हर नजर किसी पर जमी है, कुछ हंसतीं है कुछ में नमी है। नजरों में खिल खिलाहट भरी है, कहीं रुसवाइयों से सूखी जमीं है। मजलूमों की नजरों में नमीं है, किसी की अदावत से सनी हैं ये प्रकृति है या आप […]

कविता

अब चुप्पी ही बोले शायद

अब चुप्पी ही बोले शायद, उनकी बीमारी से ज्यादा एहसास, उनके चुपचाप रहने का था , खरी खरी बातें सुनाने के  आदी , दर्द से चुप, उनकी चुप्पी से हम लोग असहय दर्द से थे , कभी रात के तीसरे पहर, गहरी नींद के किनारे, गुनगुनाते  के बोल, नींद को और गुनगुना कर देते| मां […]