रोटी
रोटी की महिमा बड़ी, रोटी लिए प्रताप ।
रोटी से ही बल मिले, रोटी से ही ताप ।।
रोटी सचमुच है ख़ुदा, रोटी है संसार ।
रोटी से आनंद है, रोटी से ही सार ।।
रोटी से हर पुण्य है, रोटी से सद्कर्म ।
रोटी तो ईमान है, रोटी तो है धर्म ।।
रोटी इक तस्वीर है, रोटी है तक़दीर ।
रोटी की ख़ातिर झुके, महाबली औ’ वीर ।।
रोटी में संदेश है, रोटी मेंअभिप्राय ।
पेट बड़ा पापी ‘शरद’, देता है पगलाय।।
रोटी ने संसार को, दिये अनोखे रंग ।
रोटी के कारण हुईं, जाने कितनी जंग ।।
रोटी इक संघर्ष है, रोटी इक उत्कर्ष।
रोटी इक तासीर है, रोटी तो है हर्ष ।।
रोटी जीवन-सार है, रोटी है अभिशाप।
रोटी की ख़ातिर करे, इंसाँ अनगिन पाप।।
रोटी तो इक तत्व है, रोटी है उत्थान।
रोटी का करना सदा, ऐ बंदे सम्मान।
— प्रो (डॉ) शरद नारायण खरे