चार बाल गीत- 7
1.बायोस्कोप
आओ-आओ बायोस्कोप देखो,
पंसेरी का चूहा देखो,
बारह मन की धोबन देखो,
पैसा फेंको, तमाशा देखो.
गागर में भर लाई है सागर,
गुजरिया की नन्ही-सी गागर देखो,
उंगली पे गोवर्धन पहाड़ देखो,
पैसा फेंको, तमाशा देखो.
2.दिवाली
जगमग-जगमग आई दिवाली,
दीप खुशी के लाई दिवाली,
मिलकर दीप जलाएंगे,
प्रेम-संदेशा लाई दिवाली.
मिट्टी के दीपक कुम्हार ने,
बड़े जतन से बनाए हैं,
कुम्हार की भी मने दिवाली,
ढेरों दीपक लाए हैं.
दीप जलें तो होती दिवाली,
प्रेम बढ़े तो होती दिवाली,
मन में दीप खुशी के जलें तो,
जगमग-जगमग होती दिवाली.
बम-पटाखे नहीं जलाकर,
राह नई अपनाएंगे,
प्रदूषण से मुक्त है रहना,
सबको यही सिखाएंगे.
3.साक्षरता
‘क ख ग घ’ ‘अ आ इ ई’,
साक्षरता सिखलाती है,
अक्षर लिखना-पढ़ना-गिनना,
सिखा राह दिखलाती है.
श्रम की महिमा, कार्यकुशलता,
जागरुकता और ज्ञान मिले,
साक्षरता से जीवन महके,
प्रेम-प्यार के सुमन खिलें.
4.दो बूंदों की दवा
हम सब भारतवासी मिलकर,
जागेंगे और जगाएंगे,
दो बूंदों की दवा पिलाकर,
देश को स्वस्थ बनाएंगे.
पांच साल तक के बच्चों को,
नियम से दवा पिलानी है,
पोलियो से उन्हें बचाकर,
ढेरों खुशियां दिलानी हैं.
हम झालर नहीं लगाएंगे, मिट्टी के दीये जलाएंगे…. बच्चों की ये अपील दिल छू लेगी————–रोशनी के त्योहार दीपावली की तैयारियां जोरों पर हैं, हर तरफ लोग साफ-सफाई और रंग रोगन में मशगूल हैं। इस बीच बलिया के बच्चों ने दीवाली को ईको फ्रेंडली बनाने का संकल्प लिया है। घरों में दीवाली पर झालर की जगह मिट्टी के दिए जलाने की अपील करता हुआ ये वीडियो लोगों को खासा पसंद आ रहा है।