करतब करतल के साथ
आदत के समंजन से
व्याघात जारी है,
कुछ भी नहीं खाली है !
जहाँ हड़बड़ी है,
वहीं गड़बड़ी है ।
शांति के साथ
समझौता की बात हो
या कोई बेबात है !
कहने के आकार-प्रकार
चार घंटे की बात है,
साथ के साथ
और भी क्या बात होगी ?
सुखकर या प्रसंगकर लिए
टैक्स वाले ‘कर’ नहीं है ।
सूचना की कोटि के बीच
जीवन अप्रतिहत है ।
यह विशेष बात नहीं है,
कही भी साध नहीं है,
लोगों को चुनना,
लोगों को गुनना ।
यह प्रत्याशित है,
अप्रत्याशित है ।
सच को समझना
मानदंड से विलग है
और यह कोई समस्या नहीं है !
न आपके लिए,
न उनके लिए
और न ही मेरे लिए !