कैसे कहूँ शुक्रिया!
कैसे कहूँ शुक्रिया, एक नया इंद्रधनुष बनाने ले लिए!
कैसे कहूँ शुक्रिया, अंधकार में अनगिनत दीपक जलाने के लिए!
कैसे कहूँ शुक्रिया, एक अनमोल फूल खिलाने के लिए!
कठोर पगडंडियों से चलते हुए, आँधियों से लड़ते हुए, जीवन गुज़र रहा था;
कैसे कहूँ शुक्रिया, एक सुन्दर उड़नखटोले में बिठाने के लिए
कैसे कहूँ शुक्रिया, माता पिता का प्रतिबिम्ब बनाने के लिए!
पलक झपकते ही न जाने कितने वर्ष बीत गए,
खट्टी मीठी यादों को संजो के रखके, सोचती हूँ कि-
कैसे कहूँ शुक्रिया, मेरे जीवन में आने के लिए!
कैसे कहूँ शुक्रिया, मेरा साथ निभाने के लिए!
कैसे कहूँ शुक्रिया, ससुराल में मायके सा एहसास दिलाने के लिए!
कैसे कहूँ शुक्रिया, मेरे जीवन को सर्वोत्तम बनाने के लिए!
— रूना लखनवी