कविता

अनिश्चितता  

आज मैं बड़े असमंजस में हूँ ,
सोचती हूँ क्या कहूँ,
यही सोच रही हूँ कि
हम अभावों को कैसे समझ पाते?

कुछ प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष रूप से,
कभी अनमने मन से,
कभी वास्तविकता में,
हम यादों के झरोखों से झाँक आते!

ऐसा प्रतीत होता मानो
अनिश्चितता ही एक मात्र नियम है,
सभी वस्तुओं का प्रारम्भ व अंत है,
उसी प्रकार जैसे खिले हुए पुष्प मुरझाते!

कुछ लुप्त हो जाता है,
कुछ स्वयं मिट जाता है,
और बीतते समय के साथ
हम भी जीवन में आगे बढ़ते जाते!
— रूना लखनवी

रूना लखनवी

नाम- रूना पाठक उप्पल (रूना लखनवी) पता- दिल्ली, भारत मैंने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातकोत्तर किया है। वर्तमान में, मैं एक फार्मास्युटिकल कम्पनी में वरिष्ठ प्रबंधक की तरह कार्यरत हूँ। साहित्यिक उपलब्धि :- वूमेन एकस्प्रेस, दक्षिण समाचार प्रतिष्ठा, आज समाचार पत्र , कोलफील्ड मिरर , अमर उजाला काव्य (ऑनलाइन) , पंजाब केसरी (ऑनलाइन) , मॉम्सप्रेस्सो में कविताएँ, लघु कथा कहानी, स्वतंत्र अभिव्यक्ति की रचनाएँ प्रकाशित। सम्पर्क https://www.facebook.com/Runa-Lakhnavi-108067387683685 सम्मान: 1. मॉम्सप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान; 2. राष्ट्रीय कवयित्री मंच- नारी शक्ति सम्मान 2020 3. साहित्य संगम संस्थान- सम्मान 4. अभिनव साहित्यिक मंच - सम्मान