कविता

आओ दिया जलायें

आओ मिलकर दिया जलायें
खुशियों का त्योहार मनाएं,
छोटा बड़ा यहाँ न कोई
आओ सबमिल भेद मिटाएँ।

रोशन हो अपना जग सारा
सबको भाये प्यारा प्यारा,
सबके दिल में प्यार जगायें
आओ मिलकर दिया जलायें।

भाषा , धर्म और मजहब का
जन जन मिलकर भेद मिटायें,
आपस में बँध एक सूत्र में
हम एक बड़ी ताकत बन जायें।

आपस के बैर भुलायें हम
सब मिलकर के गायें हम,
सब में आओ विश्वास जगायें,
आओ मिलकर दिया जलाएं।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921