कविता

मुस्कुराहट

जनाब छोड़िए उदासियों को
मुस्कराने की आदत डालिये
ठीक है छोड़ देती है
मुस्कान साथ मुश्किलों में
पर आपकी ढाँढस भरी मुस्कान
दर्द कम कर देती है दूसरों के
नवजात मुस्कुराता है जब
लगता है जहां मुस्कुरा रहा है
यौवन की मुस्कुराहट भी
फिदा कर देती है इक दूसरे को
जब बुज़ुर्ग हमारे मुस्कुराते है
लगता है कुछ राह दिखा रहे हैं
इसलिए मुस्कुराते रहें जिंदगी में
सुख दुःख तो है जीवन का चक्र
आता जाता रहेगा
बस जिंदा रहे हमारी मुस्कान
प्रकृति ख़ुद मुस्कुराना सिखा रही है
मंद समीर में झूमते पेड़ पौधे
मुस्कुराहट को ही को बता रहे हैं
खुशगवार मौसम में आनंद लेते पशु पक्षी भी तो अपनी मुस्कुराहट का परिचय दे रहे हैं
बहता हुआ पानी भी तो मुस्कुरा ही रहा है
खुशी से धड़कता हुआ
दिल हमारा भी तो अपनी मुस्कुराहट का ही इज़हार कर रहा है
इसलिए छोड़ उदासी की चादर
चल उठ मुस्कुरा

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020