रंग बरसे
आगे बढ़ने से पहले
वो भी कुछ कहने को
जागते रहिये
उनमें भागते रहिये
दोस्तों के बीच
आगे बढ़कर वो भी
रहकर भी
जीवनसाथी के प्रसंगश:
कितने लोगों के साथ
उनमें आकंठ की उत्कंठा की
और फिर क्या करूँ ?
लोगों के बीच
रफ्तार धीमी हो
या तेज ।
यह तो चलनेवाली
प्रक्रिया है
और वृहद आगोश के प्रासंगिक
कुछ भी संभव नहीं
असंभव भी नहीं !
गत्यात्मकता के आरोप में
उनसे आगे कुछ भी नहीं ।
यानी….
सिफ़र बनाम सिफ़ारिश !