कविता

जनता  बेचारी

राजनिति की मारी
ये जनता बेचारी
आलू-प्याज ने इसकी
कमर तोड दी सारी
अच्छे दिन का ख्वाब
देखना बंद कर दिया
घिसट रही गृहस्थी की गाड़ी
नौकरी के पड़ गए हैं लाले
स्कूलो पर पड़े हैं ताले
मास्टर जी आधी तनखा
 मन मारकर जी रहे हैं
बिना रोशनी त्योहार बेरंग
पटाखों पर लगा है प्रतिबंध
प्रदूषण की घंटी सभी बजारहे
अब तक उसे पकड़ नहीं पा रहे
ना जाने कहां से आता है
और कहां चला जाता है
लेकिन इसकी वजह से
बेचारी  जनता कचूमर
 निकाला  जाता है
— अर्विना 

अर्विना गहलोत

जन्मतिथि-1969 पता D9 सृजन विहार एनटीपीसी मेजा पोस्ट कोडहर जिला प्रयागराज पिनकोड 212301 शिक्षा-एम एस सी वनस्पति विज्ञान वैद्य विशारद सामाजिक क्षेत्र- वेलफेयर विधा -स्वतंत्र मोबाइल/व्हाट्स ऐप - 9958312905 [email protected] प्रकाशन-दी कोर ,क्राइम आप नेशन, घरौंदा, साहित्य समीर प्रेरणा अंशु साहित्य समीर नई सदी की धमक , दृष्टी, शैल पुत्र ,परिदै बोलते है भाषा सहोदरी महिला विशेषांक, संगिनी, अनूभूती ,, सेतु अंतरराष्ट्रीय पत्रिका समाचार पत्र हरिभूमि ,समज्ञा डाटला ,ट्र टाईम्स दिन प्रतिदिन, सुबह सवेरे, साश्वत सृजन,लोक जंग अंतरा शब्द शक्ति, खबर वाहक ,गहमरी अचिंत्य साहित्य डेली मेट्रो वर्तमान अंकुर नोएडा, अमर उजाला डीएनस दैनिक न्याय सेतु