आस्था और अनास्था
सूर्यग्रहण
अभी ‘काजू’ लग रहा है !
आस्थावाले को
न नहाने और न खाने के चक्कर में ऑफिस या स्कूल नहीं जाने चाहिए !
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‘सूर्यग्रहण’ आस्था नहीं,
विज्ञानसम्मत है.
मैं नास्तिक हूँ,
कुछ देर पहले चाय ली, अब दूध-चूड़ा खा रहा हूँ….
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अपने क्षेत्र में कई फ़र्ज़ी नेता हो गए हैं !
बकौल
“फ़र्ज़ी नागरिक”
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शेख चिल्ली साहब !
मैं लाइक पाने के लिए पोस्ट नहीं करता !
मेरा उद्देश्य सिर्फ़ ‘स्वांत: सुखाय’ है, मित्र !
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‘कर्ण’
की सही पहचान न होने से
वे आजन्म प्रताड़ित रहे,
तो वहीं कुँवारी माँ की संतान ‘प्रभु यीशु मसीह’ संसार के लिए आदरणीय हो गए !