सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 18
दीपावली: दो कविताएं
1.नेह से नेह के दीप जलाएं
नेह से नेह के दीप जलाएं, आओ दिवाली मनाएं,
प्रेम-प्यार के सुमन खिलाएं, आओ दिवाली मनाएं.
दीप जलाएं मिट्टी के हम, आओ दिवाली मनाएं,
बिजली का उपयोग करें कम, आओ दिवाली मनाएं.
दूर करें दुखियों के दुःख-ग़म, आओ दिवाली मनाएं,
रहे न किसी की भी आंखें नम, आओ दिवाली मनाएं.
हवा न जहरीली होने दें, आओ दिवाली मनाएं,
पर्यावरण को स्वच्छ बनाएं, आओ दिवाली मनाएं.
दूर दिखावे से रहकर हम, आओ दिवाली मनाएं,
रहे न मन में रंजिश औ’ ग़म, आओ दिवाली मनाएं.
मीठे बोल की बांटें मिठाई, आओ दिवाली मनाएं,
छोड़ें अहम, वहम औ’ ढिठाई, आओ दिवाली मनाएं.
प्रेम-प्यार के सुमन खिलाएं, आओ दिवाली मनाएं.
नेह से नेह के दीप जलाएं, आओ दिवाली मनाएं.
-लीला तिवानी
2.मन के दीप जला दे भगवन
दीप बहुत-से जला चुकी हूं, हुआ न दूर अंधेरा,
जीवन बीत रहा है निशिदिन, करके तेरा-मेरा।
कृपादृष्टि जब हो तेरी तब, तू-ही-तू दिख जाए,
मन के दीप जला दे भगवन, जग रोशन हो जाए॥
कभी न आई पास तुम्हारे, भटकी द्वारे-द्वारे,
सबकी आस लगाई पल-पल, अब तो नयना हारे।
अश्रुकणों को तेल बना जो, किरणों को फैलाए,
मन के दीप जला दे भगवन, जग रोशन हो जाए॥
आने को है अंतिम क्षण, पर मैं तैयार कहां हूं,
तनिक समय दे चरणोदक से, मैं चुपचाप नहा लूं।
राह कौन-सी आऊं जिससे, तू मुझको मिल जाए?
मन के दीप जला दे भगवन, जग रोशन हो जाए॥
नहीं बुद्धि है, बल भी कम है, साधन भी सीमित हैं,
चारों ओर अंधेरा छाया, उज्ज्वलता परिमित है।
तू प्रकाश के सुमन खिला दे, क्षीण वदन मुस्काए,
मन के दीप जला दे भगवन, जग रोशन हो जाए॥
-लीला तिवानी
आदरणीय बहिन जी को सादर नमस्ते एवं धन्यवाद।
दोनों ही कवितायें बहुत प्रिय लगीं। दीपावली अज्ञान दूर कर ज्ञान के प्रकाश में स्नान करने का पर्व है। हम वेद, उपनिषद, दर्शन और सत्यार्थप्रकाश के सत्य ज्ञान में स्नान कर ईश्वर को जानें और मुक्तिपथ के पथिक बनें। दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें। सादर।
प्रिय मनमोहन भाई जी, आपको भी सपरिवार दीपोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
प्रिय मनमोहन भाई जी, रचना पसंद करने, सार्थक व प्रोत्साहक प्रतिक्रिया करके उत्साहवर्द्धन के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन. यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि हमेशा की तरह यह रचना, आपको बहुत अच्छी व प्रेरक लगी हमें भी आपकी ”’दोनों ही कवितायें बहुत प्रिय लगीं। दीपावली अज्ञान दूर कर ज्ञान के प्रकाश में स्नान करने का पर्व है। हम वेद, उपनिषद, दर्शन और सत्यार्थप्रकाश के सत्य ज्ञान में स्नान कर ईश्वर को जानें और मुक्तिपथ के पथिक बनें।. ‘ के प्रेरक संदेश से सुसज्जित प्रोत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया लाजवाब लगी. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
सभी पाठकगण, मित्रों, स्नेहियों, देशवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं एवं कोटिशः बधाइयां.