हल्लाबोल नेता
नीतीश जी को मुख्यमंत्री बनानेवाले जॉर्ज फर्नाडीज थे और जॉर्ज साहब को राजनीति से दूर करनेवाले नीतीश जी हैं ! राजनीति में न किसी के स्थायी दोस्त होते हैं, न ही दुश्मन ! जब झारखण्ड नहीं बना था, तब जॉर्ज साहब से मिलने और साक्षात्कार लेने का अवसर मुझे मिला था ! तब मैं दैनिक हिंदुस्तान, पटना में कार्यरत था ! तब वे केंद्र में वाजपेयी सरकार में वरिष्ठ मंत्री थे और झारखंड बनाये जाने पर चर्चा अंतिम स्थिति लिए था ।
जब वे रक्षा मंत्री थे, पोखरण-2 हुआ था । कर्नाटक में जन्में जॉर्ज साहब मजदूरों के नेता के रूप में महाराष्ट्र में उभरे और वहीं से वार्ड पार्षद से सेवा शुरू कर वहीं लोकसभा सांसद बने । तब उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक भी वहीं उनके वार्ड पार्षद थे ! अंततोगत्वा, बिहार ‘जॉर्ज साहब’ की अंतिम कर्मभूमि रही ।
मोरारजी सरकार में रेल मंत्री थे, तब प्लेटफॉर्म पर मिट्टी के भाँड़ (प्याली) में चाय बेचनी शुरू हुई थी । इससे कुम्हार बंधुओं को रोजगार पाने के अवसर और भी विस्तृत हो पाए !
इंदिरा गांधी से कभी पटी नहीं और कई बार जेल गए ! आपात में जेल में जॉर्ज साहब श्रीमद्भगवद्गीता का वाचन किया करते थे । उनके कई प्रसंग विवादों से घिरा है, जैसे- जया जेटली से प्रेम-संबंध, धार्मिक कट्टरता के हिमायती नहीं रहने के बावजूद आडवाणी जी और अटल जी से मधुर संबंध आदि-आदि ।
खैर, कई भाषाओं के जानकार होने के कारण वे अटल जी के वास्तविक हनुमान (दूत) थे, जैसे- जयललिता, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, करुणानिधि इत्यादि के साथ वाक चुहलता लिए उनसे अटल जी को जोड़े रखे !
पत्रकारिता के दौर में उन्होंने कहा था- संसद वेश्या है ! तब उनपर संसद की अवमानना चली थी । ऐसे हल्लाबोल एक्टिविस्ट की गुमनामी लिए मौत, जो कि 9 बार लोकसभा सदस्य और एक बार राज्यसभा सदस्य रहे हों, हर भारतीयों को मर्मान्तक तक चोट पहुंचाता है !